Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 01
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti

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Page 622
________________ चतुर्मुखदेव ५४ भू० ११२, १४०, चारुकीर्ति श्रुतकीर्ति के शिष्य, १०५, १४३. १०८, ३६२, ३७७, भू० १००, १३५, १६१. चतुर्मुख भ० ११३ भू० १३७. चन्द्रकीर्ति ४२, ४३, ५४, ९३, चारुकीर्ति गुरु भू० १०६. चारुकीर्ति पं० ११८. चारुकीर्ति पं० ८४, ४३३, ४३४ भू० ३४, ४१, ४८, ५२, १६१, १६२. चन्द्रगुप्त १७, ४०, ५४, १०८, भू० ५४-७०, १३०, १३१, चारुकीर्ति पं० १४२, १६१. चावुण्डराज ( देखो चामुण्ड ) ७५, १०५, १०६, २२५, २३८, भू० ११७, १२१, १३९, १५३, १५८, १५९. १३८, १४९. ९८, १०९. चन्द्रदेवाचार्य ३४ भू० १५१. चन्द्रनन्दि, गोपनन्दिके शिष्य, ५५ चिकुरापरविय गुरु १६२ भू० १५१. चिक्क नयकीर्तिदेव ४५४. चन्द्रप्रभ, हिरिय नयकीर्ति के शिष्य, चिदानन्द कवि ( मुनिवंशाभ्युदयकर्ता) भू० २७, ४५, ५९, १०५. चिन्तामणि काव्य ( चिन्तामणिकृत ) भू० ११३. ८८, ८९, ९६, १३७भू० १२०, १५८, १५९. चन्द्रभूषण १०५. चन्द्राङ्क १०५. चरितश्री ३ भू० १५०. चामुण्ड, राज, राय, चावुण्डराय, ६७, ७६, ८५, १०५, २२३ भू० ९, १५, २३-२९, ३२, ३८, ४०, ४८, ७३, ७४, ७८, ९०, ९५, १०६, १०८, १०९, ११७. चामुण्डराय पुराण भू० २८, ३२, ७३. चारुकीर्ति ७२, ४३५, ४३६ भू० ५४, भू० १३८. चिन्तामणि ५४ भू० १३८. चूडामणि काव्य ( वर्धदेवकृत ) ५४ भू० १३८. ज जगतकरतजी = जगत्कीर्तिजी ३३१. जम्बुनायगर ( आर्यिका ) ५. जम्बू १, १०५ भू० ६०, ६२, १२५. जय १, १०५ भू० ६२, १२६. जयधवल ( ग्रंथ ) ४१४ भू० ४४. जयपाल १०५ भू० १२६, १२७, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org १६२. चारुकीर्ति शुभचन्द्रके शिष्य ४१, ५३, भू० १३०, १५५. Jain Education International छ छंदःशास्त्र ( पूज्यपाद कृत ) ४० भू० १४१.

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