Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 01
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
View full book text
________________
नागवर्म, योधा २३५.
| नोलम्बराज, सर० १०९. नागवर्म, गंगराजके प्रपितामह व मार | नोलम्बवाडि, प्रदेश ५३, १२४, __ के पिता १४४, भू० ८९.
१३०, १३७, ४९१, ४९४. नागवर्म, से० बलदेवके पिता ५३. न्याय, एक टैक्स १२८. नागसमुद्र, सरो० १२२. नागियक, बलदेवके पुत्र, नागदेवकी | पञ्जाब देश, भू० ११९. भार्या ५१, ५२.
| पट्टणसामि, स्वामि, उ० १३०, ४८६, नामकाणिके, एक टैक्स ४३४.
४९० भू० ४५, ९८. नारसिंह, नृसिंह प्र०,हो. न. ४०,८० | पट्टदेसायिरु, एक टैक्स, ४३४. ९०, १२४, १३०, १३७, १३८, (पट्टिपेरुमाल, सर० ५३. ४९१, ४९३, ४९४, ४९९, भू०पडेवलगेरे, स्था० ८९.
४३, ८४, ८५, ९४-९७. पत्तिगे आय ३५४. नारसिंह द्वि०, हो० न०,भू०९९, १००. पदुमसेटि पंडित, भू० १०६. नारसिंह तृ०, हो० न०, भू० १००. पदुमसेहि, पु० ८१ भू० ९९, १०६. नासिक राजधानी भू. ७६.
पद्मरथ, पौ० न०, भू० ५६, ६०. निडुगल, रा० वं०, भू० १११. पद्मलदेवी, पद्मावती, हुल्लकी भार्या निम्ब, "देव, मं० ४० भू११२. १३७, ४९१ भू. ९६. नीरारम्भ, एक टैक्स ३५३. | पद्मावती बस्ति-कत्तले बस्ति, भू० ५. नील मं० ४२.
पम्पराज, अरसादित्यके पुत्र ३५१. नीलगिरि ५३,५६.
| परवादिमल्ल जिनालय, भू. ९९. नुडिदन्ते गण्ड, उ० ३८, ४४. परम, ग्रा० ४५, ५९ भू० १०, ९१. नूनचण्डिल, न० ४७,५०.
पल्लव, रा. वं. ३८, १२४, १३०, नृपकाम, हो० न०४४,भू० ८३, ८४, | ४९१ भू. ८०.
पल्लवाचारि, लेखक १५८. नेडुबोरे, ग्रा० ६.
| पाटलिपुत्र, नगर ५४ भू० ६०, १४१. नेमिसेटि, पु० ८६, २२९, ३६१ भू० पाण्डु, पौ० न० १३८. १२,८८.
पाण्ड्य, "देश, रा. वं. ३८,५३,५४, नेरिलकेरे, सरो० ५९.
१२४, १३०, १३७,४९१, ४९३, नोलम्ब, रा० ० ३८, भू० १०९. ४९४, ४९९ भू० ६१, ८३, ११२, नोलम्बकुलान्तक, उ० ३८, १७१. । १४०, १४३.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662