Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 01
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 645
________________ देवराट, देवराय, द्वि०, वि० न० १२५, ध्रुव, रा० न०, भू० ७५, ७८, ७९. भू. १०४, १०५. देवराजै अरसु, मं० ९८. नकुलार्य, मं० ५००, भू० ११०. देवराय महाराज, भू० ४६, नगर जिनालय १०८, १२९-१३१, देवीरम्मणि, स्त्री भु० ६. २५२, ४४३, भू० ४५. देशकुलकर्णि, उ०, ११६. नङ्गलि, दु. ५६, १२४, १३०, १३० दोड कृष्णराज वडेयरैय (प्र. ) मै० १३७, १४४, ४९१,४९४ ४९७. न० ८६. नजरायपट्टण, ग्रा० १०३, भू० ३६. दोडनकट्टे, ग्रा० १३३. नदि (राष्ट्र) ३४. दोडदेवराज ओडेयर, मै० न०,भू०४५. नन्द, रा. वं०, भू. ६९. दोरसमुद्र-द्वारावती ९६, ४९१,४९४. नन्नि, नो० न०, भू. १०९. द्रोहघरट्ट, उ० ४४, ५९, ९०, १४४, | नरग, सर० ३८. ३६०, ४७८, ४८६. | नरसिंग, सिंह वर्म, चो० सर. ९०, द्वारावती, द्वारावतीपुर (दोरसमुद्र) १३८, १४४, ३६०, ४८६, भू. ४५, ५३, ५६, ५९, ८१, ९०, | ९०, १०९. १२४, १३०, १३७, १४४, | नरसिंहाचार रायबहादुर, भू० ६३,७०. ३६०,४८६, ४९१-४९४, ४९७, नविलूर, ग्रा० २४. ४९९, भू० ८१, ८४, ८६. नहुष, पौ० न० ५६. नाग, “देव, बम्मदेव मं० के पुत्र ४२, धनायी, स्त्री ११९. १२२, १३०, १३७, ४९०. धरणेन्द्र शास्त्री पु० ४३५. नागकुमार, पौ० न०, भू० ४७. धरमचन्द, पु० ११८, भू० ४१. नागति, स्था० २९१ भू० ११८. धरमासा, पु. ३८६. नागदेव, मं० बलदेवके पुत्र ५१, भू० धर्मस्तल धर्मस्थल ४३३. १३, ४५, ९८. धर्मासा, पु० ३६५, ३७९. नागनायक सर० १४, भू. ११२. धवलसर, धवल सरोवर ५४, १०८, नागरनाविले स्था० ३६१. भू० १. नागले, बूचण मं० की माता ४६, ४९. धारा नगरी ५५, १३८. नागवर्म, नरसिंह मं० के नाती भू०७५. धूर्जटि ५४, ४९२, भू० १४१, नागवर्म, मूर्तिकार, २७२, भू० ११७, १४२. ११८. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662