Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 01
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti

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Page 639
________________ केतङ्गेरे, सरो० १२४. केतिसेट्टि पु० ९५, १०४, ३६१, भू० १२२. केदार नाकरस सर० ४० भू० ११२ केहिल, एक नाला १२४. केम्पम्मणि स्त्री भू० ६. केम्बरेयहल, एक नाला १२४. केलियदेवी, केलेयब्बरसि, विनयादित्य हो० न० की रानी, १२४, १३७, १०३ भू० ३६. कैटभ, एक राक्षस ३८. कोङ्ग जा० ५३, १४४. कोङ्गनाडु, प्रदेश ११७. कोतराय रायपुर दु० १३८. २२ कोपणपुर, स्था० ३२१. १३०, कोयतूर, दु० ५३, ५६, १२४,१३७, १३८, ४९४, भू० ८७. केलङ्गेरे, प्रा० ४०, १३७ भु०७५,९६. ख केल्लहनहल्लि, ग्रा० ४८६. केशवनाथ, महादेव चं० न० के मं० खचरपति = जीमूतवाहन, ४९७, ४९९, भू० ९०. कोटिपुर भु० ५६, ६०. कोहर, स्था० ९. कोट्टसा, स्था० ३७९. कोणेयगङ्ग, सर० ६० भू० ७४, ७७. फोपण, कोपल, ग्रा० ४७, १३७, १४४, भू० ९६. Jain Education International १३८, १४४. कोलार, कुवलाल, राजधानी भू० ७१. कोलाल ग्रा० ५६. कोलिपाके, स्था० ४०८. कोल्लापुर = कोल्हापुर ४०, ४२२, ४७१. कोवल्ल, स्था० २४. कोविल श्रीरङ्गम् १३६. कौण्डिन्य गोत्र ४०, ४३, ४५, ५९, ९०, १४४, ३६०, ४८६. १३८. खण्डलि, वंश १२८, १३०. खाण (एक टैक्स ) १३७. कोङ्गलि, प्रा० ५६. कोङ्गाल्व, रा० ० ५०० भू० ८३, खोटिगदेव, रा० न०, भू० ७७. १०९. ग कोजु, प्रदेश ५६, १२४, १३०, गङ्ग, रा० वं० ३८, ४५, ५४, ५५, १३७, १४४, ४९१, ४९४, ५९, ८५, १०९, १३७, १३८, १५१, १६३, २३५, ४६९, ४८६, भू० ७०-७५, ८४, १०९ १४२. गङ्ग, गङ्गण, गङ्गराज, विष्णुवर्धनके से० ४३-४८, ५९, ६३, ६५, ७५, ७६, ९०, १३७, १४४, ३६०, ४४६, ४४७, ४७८, ४८६, www.jainelibrary.org पौ० न० खामफल, पु० ११९. खुसरो, ईरानका बादशाह भू० ८०. खेरामासा, पु० ३६३-३६५. For Private & Personal Use Only

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