Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 01
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
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१७
अनुक्रमणिका २
१०:
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इस अनुक्रमणिकामें जैन मुनि, आर्यिका कवि व संघादिको छोड़ शेष सब प्रकार के नामोंका समावेश किया गया है । नामके पश्चात् के अंकोंसे लेख- नंबर व भू० के पश्चात् के अंकोंसे भूमिका - पृष्ठका तात्पर्य है ।
इस अनुक्रमणिका में निम्नलिखित संकेताक्षरों का प्रयोग किया गया है ।
उ० = उपाधि | को० न० = कोङ्गाल्व नरेश । गं० न०-गंग नरेश | गं० रा० = गंग राजकुमार | ग्रं०= ग्रंथ । ग्रा० = ग्राम । चं० न० = चंगाल्व नरेश । चा० न०= चालुक्य नरेश । चामु ० = चामुण्डराय । चो० रा० = चोल राजधानी । चो० से०= चोल सेनापति । जा०=जाति । जै० मं०=जैन मंदिर । तृ० = तृतीय । दा० = दार्श - निक । दु०= दुर्ग | द्वि० = द्वितीय | न० = नरेश । नि० सर ० = निडुगल सरदार । नो० न०=नोलम्ब नरेश । पा० सर० पाण्ड्य सरदार | पु० पुरुष । पौ० ऋ० = पौराणिक ऋषि । पौ० न० = पौराणिक नरेश । प्र० = प्रथम | मं० = मंत्री | मै० न०=
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मैसूर नरेश । मौ० न० = मौर्य नरेश । रा० न० = राष्ट्रकूट नरेश । रा० रा०=राष्ट्रकूट राजकुमार । रा० वं ० = राजवंश | वि० न० = विजयनगर नरेश । शै० न०= शैशुनाग नरेश | सर ० = सरदार | सरो० =सरोवर । से० सेनापति । स्था० =स्थान । हो० न० = होय्सल नरेश ।
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अकालवर्ष = कृष्ण द्वि०, रा० न०, भू०
७६.
अक्कनबस्ति = पार्श्वनाथ मंदिर भू० ४३, अडेयार राष्ट्र अदेयरेनाडु २. अण्णय्य पु० १७२ भू० ४८. अणितटाक स्था० ४२.
४४, ९७. अक्कव्वे, चन्द्रमौलि मं० की माता १२४
भू० ९७.
अक्षपाद दा० ५५.
अखण्डवागिल दरवाजा भू० ३८. अगलि, ग्रा० ९.
अगशाजी पु०, भू० ३७.
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अग्रवाल जा० ३३८, ३४०, ३४६,
३४७ भू० १२०.
अजितादेवी चामु० की भार्या भू० २४.
अतकूर, ग्रा०, भू० १०९. अत्तिमब्बरसि, अत्तिमब्बे, स्त्री ५९,
१२४, १४४, भू० ९०. अदटरादित्य को० न० ४९८, ५००
भू० ११०.
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