Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 01
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
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अभयचन्द्रक ३३३ भू० १६१. इन्द्रनन्दि ५४, २०५ भू० ७७, १२०, अभयनन्दि पण्डित २२ भू० ११८, १२८, १३९, १४५, १४८, १५२. १५३.
इन्द्रभूति ( देखो गौतम) ५४, १०५ अभयदेव ४७३ भु. १५६.
भू१२५. अभयनन्दि,त्रै यो के शिष्य ४७,५०. इन्द्रभूषण, लक्ष्मीसेन के शिष्य, ११९. अभयसूरि १०५.
भू० १६१. अभिनवचारुकीर्ति पं० आ० १३२, भू० ईशान १९४.
४६, १६०. अभिनव पं० पंडितदेव के शिष्य, उग्रसेन गुरु, पट्टिनिगुरु के शिष्य, ८
१०५, ३६२. भू. १३५, १६१. ___ भू. १५०. अभिनव पं० आ० ४२१ भू० १६०. | उत्तरपुराण, गुणभद्रकृत, भु०३०,७६. अभिनव श्रुतमुनि १०५ भू० १३५. उदयचन्द्र ४२,१०५,१३७, भू. १५९. अमरकीर्ति, धर्मभूषण के शिष्य, १११ उपवासपर, वृषभनन्दिके शिष्य, १८९. भू. १३६.
उल्लिकलगुरु ११ भू० १५०. अमरनन्दि १०५. अरिट्टनेमि पं. २९७ भू० ११८. ऋषभसेनगुरु १४. अरिडोनेमि २५ भू० १४. अरिष्टनेमि गुरु १५२ भू० १११, १४९. एकत्वसतति पद्मनन्दिकृत भू० ११२. अरुङ्गलान्वय ४९३ भू० १३६, १४८. एकसंधिसुमतिभट्टारक ४९३, भू. अर्जुनदेव १०५.
१३७. अर्हद्दास कवि १०५ भू० ३८. अर्हद्वलि १०५ भू० ५९, १३४. कण्णब्बे कन्ति (आर्यिका) ४६०. अविद्धकर्ण, पद्मनन्दि व कुमारदेव गोला- कनकचन्द्र ११३ भू० १३७.
चार्य के शिष्य ४० भू. १३२. कनकनन्दि ४०, ४४, २५१ भू० ९०, अविनीत भू० १२८.
१५५, १५८. आजीगण २०७.
कनकश्री कन्ति (आर्यिका) ११३. आर्यदेव ५४ भू० १३९.
कनकसेन, बलदेवमंत्रीके गुरु, १५
भू० १४९. इङ्गुलेशबलि १०५, १०८, १२९ भू० | कनकसेन-वादिराज ४९३ भू० १३५ १३५, १४६. .
कमलभद्र ५४ भू. १३९. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
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