________________
हिन्दी जैन श्रीकृष्ण-रास, पुराण साहित्य और अन्य
अनुवादित ग्रंथ
नेमिपुराण भाषा
नेमिपुराण भाषा
प्रद्युम्नचरित भाषा
पांडव पुराण नेमिपुराण भाषा
नेमिनाथ चरित
प्रद्युम्नचरित
प्रद्युम्न कुमार (पद्यानुवाद) प्रद्युम्न कुमार (गद्य संस्करण) उत्तर पुराण वचनिका प्रद्युम्नचरित प्रद्युम्नचरित वचनिका
अनुवादक
भागचंद
१६३ :
वखतावरमल
ज्वालाप्रसाद वखतावर सिंह
पन्नालाल चौधरी
उदयलाल
काशीराम
शीतलप्रसाद
अमोलक ऋषिजी
शोभाचन्द्र भारिल्ल
Jain Education International
पन्नालाल दूनीवाले
वरख्तावरमल रतनलाल मन्नालाल बैनाडा
स्थानकवासी जैन परंपरा में अनेक मुनिवर स्वाध्याय व सृजन की साधना में भी प्रवृत्त हैं और उनके सद्-प्रयासों से जैन धर्म एवं दर्शन के प्रचारप्रसार में अत्यंत मूल्यवान योगदान हुआ है । विगत कुछ दशकों से तो एक * प्रबल अभियान के रूप में इस प्रयत्न को ग्रहण किया जा रहा है और इसकी उत्तम उपलब्धियां भी हो रही हैं । किंतु, यत्किंचित् रूप में यह प्रयत्न प्रत्येक काल में अवश्य अस्तित्व में रहा है । इन असंख्य ग्रन्थों में अनेक रचनाएं जैन परंपरानुसार श्रीकृष्ण के जीवन और व्यक्तित्व पर भी प्रकाश डालती हैं ।
आचार्य श्री जयमल जी महाराज की इस प्रकार की रचनायें हैंभगवान नेमिनाथ, महारानी देवकी, श्रीकृष्ण की ऋद्धि आदि । इसी प्रकार कवि रायचंद जी महाराज की प्रतिष्ठित रचनाएं हैं - राजीमती नेमिनाथ चोढ़ाल्या (सं० १८३४), राजीमती रथनेमि की सज्झाय (सं० १८४१ ), कृष्ण भेरी संवाद (सं० १८४३), देवकी रानी की ढ़ाल आदि । आचार्य रायचन्द जी म० आचार्यजयमल जी महाराज के संप्रदाय के थे ।
३३. युवाचार्य श्री मधुकर मुनि द्वारा "जयवाणी" सन्मति ज्ञान पीठ आगरा से वि० सं० २०१६ में प्रकाशित
३४. मरुधर केसरी अभिनन्दन ग्रन्थ का लेख - संतकवि रायचंद जी और उनकी
रचनाए
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org