Book Title: Jain Sahitya me Shrikrishna Charit
Author(s): Rajendramuni
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 292
________________ २७४ जैन-परंपरा में श्रीकृष्ण साहित्य २१. रोहिणी-बलदेव, सारण, विदुरथ, २२. बालचन्द्रा-वज्रदंष्ट्र, अमितप्रभ २३. देवकी-नृपदत्त, देवपाल, अनीकदत्त, अनीकपाल, शत्रुघ्न, जितशत्रु, श्रीकृष्ण वसुदेव के पुत्र पुत्रों की सन्ताने जरत्कुमार - वसुध्वज, सुवसु, भीमवर्मा, कापिष्ठ, अजातशत्रु, शत्रुसेन, जितारि, जितशत्रु आदि। बलदेव -उन्मुण्ड, निषध, प्रकृतिद्युति, चारुदत्त, ध्र व, पीठ, शकृन्दमन, श्रीध्वज, नन्दन, धीमान, दशरथ, देवनन्द, बिद्रभ, शान्ततु, पृथु, शतधनु, नरदेव, महाधनु, रोमशैल्य, श्रीकृष्ण -भानु, सुभानु, भीम, महाभानु, सुभानुक, बृहद्रथ, अग्निशिख, विष्णुसंजय, अकम्पन, महासेन, धीर, गंभीर, उदधि, गौतम, वसुधर्मी, प्रसेन जित, सूर्य, चन्द्रवर्मा, चारु कृष्ण, सुचारु , देवदत्त, भरत, शंख, प्रद्युम्न, शाम्ब, इत्यादि ।1 (६) वैदिक परम्परा विष्णुपुराण के अनुसार उनसेन को सन्तानेंकंस, न्यग्रोध, सुनाम, आनकाह, शंकु, सभूमि, राष्ट्रपाल, युद्धतुष्टि, संतुष्टिमान चारपुत्रियाँ-कंसा, कंसावती, सुतनु, और राष्ट्रमालिका सुतनु का ही दूसरा नाम राजीमती है । (७) विष्णुपुराण के अनुसार यदुवंश क्रोष्टु युधाजित देवमीदुष वृष्णि अंधक शूर । स्वफलक चित्रक वसुदेव (१० भाई) श्रीकृष्ण (८ भाई) अक्रूर अरिष्टनेमि १. जैनेन्द्रसिद्धांतकोष, भा० १ पृ० ३५८ से उद्धत २. हरिवंश पर्व-२, अध्याय ३७, श्लोक १२ और ४४ तथा हरिवंश पर्व २, अध्याय ३८,श्लोक १ से ५२ तक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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