Book Title: Jain Sahitya me Shrikrishna Charit
Author(s): Rajendramuni
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 307
________________ २८९ परिशिष्ट-३ १२. उत्तरपुराण, (हस्तलिखित प्रति) लिपिकार-खुशालचन्द काला १३. उत्तरपुराण, प्र०-भारतीय ज्ञानपीठ काशी, १९५४ १४. उपदेशमाला प्रकरण प्र०-ऋषभ देव केशरीमल, संस्था इन्दौर, १९२६ १५. काव्यमाला (४६), सं०-शिवदत्त शर्मा प्र०—निर्णय सागर प्रेस, बम्बई, १६०५ १६. करकंडु चरित्र, सं० -हीरालाल जैन प्रथम सं०-जैन सीरीज, कारंजा, १६३४ द्वितीय सं०-भारतीय ज्ञानपीठ काशी, १९६४ १७. कृष्ण मेरी दृष्टि में, ले०-भगवान श्री रजनीश प्र०-जीवन जागृति केन्द्र, बम्बई-6 १८. कण्हचरित, ले०-देवेन्द्र सूरि प्र०—केशरीमल संस्था, रतलाम, १६३० १६. काव्य में रहस्यवाद, ले०-आचार्य रामचन्द्र शुक्ल प्र०-नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी, १९८३ २०. कृष्ण-लावणी, मुनि नन्दलाल शिष्य २१. कुमारपाल पडिबोह, संपादक-मुनि जिन विजय जी प्रकाशक-ओरिएण्टल गायकवाड़ सीरीज, बड़ोदा, १९२० गुजराती अनुवाद-आत्मानन्द सभा, बम्बई २२. गजसुकुमाल रास (हस्तलिखित), अभय जैन ग्रंथालय, बीकानेर २३. गजसुकुमाल रास (हस्तलिखित), ग्रंथ भण्डार जैसलमेर २४. ज्ञाता धर्म कथांग सूत्र, सं०--युवाचार्य मधुकर मुनि जी प्र०—आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर, १९८१ २५. चतुर्मुख वन ऑफ दि अलिएस्ट अपभ्रंश ए पीक पोइट्स प्र०—जनरल ऑफ दि ओरिएन्टल इन्स्टीट्यूट, बड़ौदा, ग्र० ७ अंश ३ ले०-डा० हरिवल्लभ चुन्नीलाल भायाणी, मार्च १९४८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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