Book Title: Jain Sahitya me Shrikrishna Charit
Author(s): Rajendramuni
Publisher: Prakrit Bharti Academy

View full book text
Previous | Next

Page 314
________________ २६६ जैन-परंपरा में श्रीकृष्ण साहित्य १०६. हरिवंश पुराण (हस्तलिखित), ले०-शालिवाहन, आगरा ११.. हरिभद्र के प्राकृत साहित्य का आलोचनात्मक परिशीलन ले०-नेमिचन्द्र शास्त्री । १११. हरिवंश पुराण ले०-आचार्य जिनसेन सं०-पन्नालाल जैन, प्र०-भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, १९६२ ११२. हिंदी साहित्य का आदिकाल, ले० -डा० हजारीप्रसाद द्विवेदी ११३. हिंदी साहित्य में राधा, ले०-द्वारका प्रसाद मित्तल ११४. हिंदी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास ले० डॉ० रामकुमार वर्मा ११५. हिंदी साहित्य का इतिहास, ले०-आचार्य रामचन्द्र शुक्ल प्र०-नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी ११६. हिंदी जैन साहित्य परिशीलन, ले०- नेमिचंद शास्त्री प्र०-भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, १९५६ ११७. हिंदी आदि और मध्यकालीन कृतियां सं०-डा. गोविन्द रजनीश, प्र.-मंगल प्रकाशन, जयपुर ११८. हिंदी रास काव्य, ले०-डा० हरीश प्र०-मंगल प्रकाशन, जयपुर ११६. हिंदी और मराठी का वैष्णव साहित्य एक तुलनात्मक अध्ययन लेखक-डा० न० चि० जोगलेकर प्रकाशक-जवाहर पुस्तकालय, मथुरा, १९६६ १२०. हिंदी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास,ले०-डा० गणपति चंद्र गुप्त पत्रिकाएं १. अनेकान्त-दिल्ली २. श्रमण-पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, वाराणसी ३. अहिंसा दर्शन--अखिल भा० अ० प्रचार संघ, बेंगलोर ४. शोधपत्रिका-वर्ष २६, अंक दो, एप्रिल-जून १९७८ सं० डा. देवीलाल पालीवाल और डा० देव कोठारी साहित्य संस्थान, राजस्थान विद्यापीठ, उदयपुर ५. जिनवाणी मासिक पत्रिका-जुलाई १९६६ सम्यग्ज्ञान प्रचार मण्डल, जयपुर ६. जैन हितैषी--भाग-११, अंक ७-८ 000 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 312 313 314 315 316