Book Title: Jain Sahitya me Shrikrishna Charit
Author(s): Rajendramuni
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 313
________________ २६५ परिशिष्ट-३ ६४. वहिदसाओ, सं० ..-पुप्फभिक्खू प्र०--सत्रागम प्रकाशन समिति, गुड़गांव (पंजाब) ६५. वैष्णविज्म एण्ड शैविज्म एण्ड अदर माइनर सेक्ट ले०--डा० भण्डारकर व हेमचन्द्रराय चौधरी, पुणे ६६. वैष्णव धर्म का प्राचीन इतिहास, ले०---डा० राय चौधरी ६७. सन्तकवि रायचंदजी और उनकी रचनाएं प्र०-मरुधर केशरी अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशन समिति, ब्यावर ६८. संस्कृत काव्य के विकास में जैन कवियों का योगदान ले०-डा० नेमिचन्द शास्त्री प्र०—भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली, १६०१ ६६. समवायांग सूत्र, सं०-५० कन्हैयालाल जी 'कमल' प्र.--आगम अनुयोग प्रकाशन समिति, सांडेराव, १९६६ १०० स्थानांग, सं०-६० कन्हैयालाल जी कमल प्र०-आगम अनुयोग प्रकाशन समिति, सांडेराव, १९७२ १०१. संस्कृत साहित्य का इतिहास ले०-वाचस्पति गैरोला प्र०-चौखम्भा विद्या भवन, वाराणसी, १९६० १०२ सप्तसन्धान काव्य प्र०-जैन साहित्य वर्धक सभा, सूरत, सं० २००० १०३. संस्कृत साहित्य का इतिहास, ले०-बलदेव उपाध्याय प्र०-शारदा मंदिर, काशी १०४. साहित्य और सौन्दर्य, ले०-डा० फतेहसिंह प्र०-संस्कृति सदन, कोटा १०५. श्रीकृष्ण चरित्र, ले०-६० महासेन १०६. श्रीमद् भागवत, प्र०-गीता प्रेस, गोरखपुर १०७. हरिवंश पुराण (हस्तलिखित) ले० १७५९ __ आमेर शास्त्र भण्डार, जयपुर १०८ हरिवंश पुराण (हस्तलिखित) ले० --सं० १९०६ __ श्री पल्लीवाल दिगम्बर जैन मंदिर, धुलियागंज, आगरा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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