Book Title: Jain Sahitya me Shrikrishna Charit
Author(s): Rajendramuni
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 311
________________ परिशिष्ट - ३ ६७. प्रद्युम्न चरित्र, सं० - नाथुराम प्रेमी प्र० - हिंदी ग्रन्थ रत्नाकर, कार्यालय, बम्बई ६८. प्राकृत साहित्य का इतिहास, ले० - जगदीशचन्द्र जैन प्र० - चौखम्भा विद्या भवन, वाराणसी, १६६१ ले ०. सं०-- प्रो० ए० एन० उपाध्ये प्र० --- जैन संस्कृति संरक्षक संघ, शोलापुर, १६५४ ६६. पाण्डव पुराण, ७०. प्राकृत भाषा और साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास ७१. प्रेमी अभिनन्दन ग्रंथ -भट्टारक शुभचन्द्र ले० - नेमिचंद शास्त्री प्र० - तारा पब्लिकेशन, वाराणसी, १९६६ सं० -- डा० वासुदेव अग्रवाल ७२. पाण्डव यशो रसायन (महाभारत) ले० - मरुधर केशरी मिश्रीमल जी म० प्र० -- रघुनाथ भण्डार, सोजत सिटी ―――― ७३. बलभद्र बेली, रचनाकार — कवि सालिग ७४. भगवद् गीता, गीता प्र० - प्रेस, गोरखपुर ७५. भगवान नेमिनाथ और पुरुषोत्तम श्रीकृष्ण ले० – मुनि चौथमल जी प्र० -- दिवाकर दिव्य ज्योति कार्यालय, ब्यावर ७६. भवभावना (२ भागों में प्रकाशित ) Q Я о - ऋषमदेव केशरीमल जैन श्वे० संस्था, रतलाम, १६६२ ७७. भविस्सयत्त कहा तथा अपभ्रंश कथा काव्य ले० - डा० देवेन्द्र कुमार शास्त्री प्र० - भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली, १६७० ७८. भगवान अरिष्टनेमि और श्रीकृष्ण योगी एक अनुशीलन ले० – देवेन्द्र मुनि शास्त्री प्र० -- तारक गुरु जैन ग्रंथालय, उदयपुर १६७१ ७६. भारतीय संस्कृति में जैन धर्म का योगदान ० डा० हीरालाल शास्त्री ले ०. प्रо Jain Education International - मध्यप्रदेश शासन साहित्य परिषद्, भोपाल, १६६२ २६३ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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