Book Title: Jain Sahitya me Shrikrishna Charit
Author(s): Rajendramuni
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 312
________________ २६४ ८०. भारतीय भाषाओं में कृष्ण काव्य - सं० - डा० भगीरथ मिश्र व विनय मोहन शर्मा प्र० - - मध्यप्रदेश साहित्य परिषद्, भोपाल, १६८१ ८१. महाभारत, ले० – प्रवर्तक शुक्लचंद जी म० ले ० ८२. महाभारत ले० – सूर्य मुनि जी ८३. महाभारत, प्र० - गीता प्रेस, गोरखपुर ८४. महामात्य का साहित्य मण्डल और संस्कृत साहित्य में उसकी देन -- डा० भोगीलाल सांडेसरा 110 प्रо - जैन संस्कृति संशोधन मण्डल, वाराणसी ८५. रंगसागर नेमिफागू, ले० - सोमसुंदर सूरि - भाग १, २ ८६. रइधू साहित्य का आलोचनात्मक परिशीलन ले० – राजाराम जैन ८७. राजस्थानी साहित्य की गौरवपूर्ण परम्परा ८८. राजस्थानी वेलि साहित्य जैन - परंपरा में श्रीकृष्ण साहित्य ले० – अगरचंद जी नाहटा, प्र० - राधाकृष्ण प्रकाशन, दिल्ली, १६६७ ले ०. ० - डा० नरेन्द्र भानावत प्र०—- राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर १. वस्तुपाल का विद्या मंदिर, ले.. ८६. राजस्थान का जैन साहित्य. प्र० - प्राकृत भारती, जयपुर, वि० २०३४ ९०. राजस्थानी भाषा और साहित्य, ले० – - मोतीलाल मेनारिया ---O Jain Education International - भोगीलाल सांडसरा ६२. वसन्त विलास ९३. वसुदेव हिण्डी, ले० - संघदास गणि प्र० - जैन कल्चर रिसर्च सासायटी, बनारस, हिंदू युनिवर्सिटी पत्रिका नं० १६ सं० मुनि चतुरविजय, पुण्य विजय प्र० - जैन आत्मानन्द सभा, भावनगर, १६३० For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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