Book Title: Jain Sahitya me Shrikrishna Charit
Author(s): Rajendramuni
Publisher: Prakrit Bharti Academy

View full book text
Previous | Next

Page 306
________________ १. अन्तकृत्दशा सूत्र, सं० - युवाचार्य श्री मधुकर मुनि जी । प्र०—-आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर, सन् १९८१ परिशिष्ट - ३ संदर्भ ग्रन्थ सूची २. अरस्तू का काव्य शास्त्र, अनुवादक - डा० नगेन्द्र प्र० - हिंदी अनुसंधान परिषद, दिल्ली, वि० स० १९१४ ३. अपभ्रंश भाषा का अध्ययन, ले० १० - डा० वीरेन्द्र श्रीवास्तव । ४. अपभ्रंश कथाकाव्य एवं हिंदी प्रेमाख्यान, ले०- - प्रेमचन्द जैन प्र० – सोहनलाल जैन धर्मप्रचारक समिति, अमृतसर, सन १९७२ 31 ५. अपभ्रंश साहित्य, ले० - प्रो० हरिवंश कोछड़ प्र० - भारतीय साहित्य मंदिर, दिल्ली, वि० सं० १०१३ ६. आधुनिक हिंदी काव्य में छंद योजना, ले० - डा० पुत्तूलाल शुक्ल ७. आदि पुराण में प्रतिपादित भारत, ले० –— डा० नेमिचन्द शास्त्री प्र० - वर्णी ग्रंथमाला, काशी । ८. आदि पुराण, ले० - - आचार्य जिनसेन प्र० - भारतीय ज्ञानपीठ काशी, सन् १९६३ C. इतिहास प्रवेश, ले० -- जयचन्द्र विद्यालंकार प्र० - सरस्वती प्रकाशन मंदिर, इलाहाबाद, सन् १९४१ १०. इण्डियन फिलासफी, ले० - डा० राधाकृष्णन् ११. उत्तराध्ययन सूत्र, सं० - राजेन्द्र मुनि Jain Education International प्र० -- आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर सन् १९८४ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316