Book Title: Jain Sahitya me Shrikrishna Charit
Author(s): Rajendramuni
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 290
________________ २७२ जैन-परंपरा में श्रीकृण साहित्य (३) दिगम्बर हरिवंश के अनुसार यादववंश परिचय यदु नरपति शूर (शौर्यपुत्र) वीर भोजकवृष्णि शांतनु अंधकवृष्णि अधकवृष्णि का परिवार पौत्र १. समद्रविजय -महासेन, सत्यनेमि, दृढ़नेमि, भ. अरिष्टनेमि, सुनेमि, जयसेन, महीजय, सुफल्गु, तेजसेन, मय, मेघ, शिवचन्द, गौतम आदि । २. अक्षोभ्य --उद्भव, अम्भोधि, जलधि, वामदेव, दृढव्रत, ३. स्तिमित -ऊर्मिमान, वसुमान वीर, पाताल, स्थिर, ४. हिमवान -विद्युत्प्रभ, माल्यवान, गंधमादन, ५. विजय -निष्कम्प, अकंप, बलि, युगन्त, केशरिन्, अलम्बुष ६. अचल -~-मलय, सहन, गिरि, शैल, नग, अचल, ७. धारण -वासुकि, धनंजय, कर्कोटक, शतमुख, विश्वरूप ८. पूरण -दुष्पूर, दुर्मुख, दुर्दश, दुर्धर, ६. अभिचन्द्र -चन्द्र, शशांक, चन्द्राभ, शशिन, सोम, अमृतप्रभ १०. वसुदेव -[इनकी सन्तान अगले चार्ट ४ में देखें।] १. कुन्ती, २. माद्री-इन दोनों का पाणिग्रहण पाण्डुराजा से हुआ। (४) भोजकवृष्णि का परिवार १. उग्रसेन कंस, देवकी, घर, गुणधर, युंक्तिक, दुधंर, सागर, चन्द्र २. महासेन ३. देवसेन १. हरिवंशपुराण-जिनसेन-अ. १८; जैनेन्द्रसिद्धान्तकोश भाग १ से उद्धत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org


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