Book Title: Jain Sahitya me Shrikrishna Charit
Author(s): Rajendramuni
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 291
________________ परिशिष्ट - १ महासेन शिवि स्वस्थ विषद अनन्तमित्र विषमित्र शांतनु का परिवार सुषेण सत्थक, वज्रधर्मा, असंग हृदिक / कृतिधर्मा दृढधर्मा (५) हरिवंशपुराण में वसुदेव की २३ रानियां व उनकी संतानें रानियां सन्तान १. विजय सेना — अक्रूर, क्रूर २. श्यामा – ज्वलन, अग्निवेष, ३. गन्धर्वसेना - वायुवेग, अमितगति, महेन्द्रगिरि ४. प्रभावती - दारू, वृद्धार्थ, दारुक, ५. नीलयशा - सिंह, मतंगज, ६. सोमश्री - नारद, मरुदेव, ७. मित्रश्री - सुमित्र ८. कपिला – कपिल ६. पद्मावती - पद्म, पदक १०. अश्वसेना - अश्वसेन ११. पोन्ड्रा - पौण्ड्र १२. रत्नवती - रत्नगर्भ, सुगर्भ Jain Education International १३. सोमदत्त पुत्री - चन्द्रकान्त, शशिप्रभ, १४. वेगवती - वेगवान, वायुवेग १५. मदनवेगा — दृढमुष्टि, अनावृष्टि, हिममुष्टि, १६. बंधुमति — बन्धुसेन, सिंहसेन १७. प्रियंगसुन्दरी - शिलायुध १८. प्रभावती - गान्धार, पिंगल १६. जरा - जरत्कुमार, वाह्निक अवंती - सुमुख, दुर्मुख, महारथ २०. For Private & Personal Use Only २७३ www.jainelibrary.org

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