Book Title: Jain Sahitya me Shrikrishna Charit
Author(s): Rajendramuni
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 294
________________ २७६ जैन-परंपरा में श्रीकृष्ण साहित्य वैदिक परंपरा के पुराणों में इनकी वंशावली भिन्न-भिन्न प्रकार से दी गयी है। पूर्ण विस्तृत वर्णन के लिए देखें-पारजीटर एन्शिएण्ट इण्डियन हिस्टोरिकल ट्रेडीशन, पृ० १०४-१०७ । जरासन्ध के पुत्र १. कालयवन् २. सहदेव ३. द्रुमसेन ४. द्रुम ५. जलकेतु ६. चित्रकेतु ७. धनुर्धर ८. महीजय ९. भानु १०. कांचनरथ ११. दुर्धर १२. गंधमादन १३. सिंहांक १४. चित्रमाली १५. महीपाली १६. बृहद्दवज १७. सुवीर १८. आदित्यनाग १६. सत्यसत्व २०. प्रदर्शन २१. धनपाल २२. शतानीक २३. महाशुक्र २४. महावसु २५. वीर २६. गंगदत्त २७. प्रवर २८. पार्थिव २६. चित्रांगद ३०. वसुगिरि ३१. श्रीमान् ३२. सिंहकटि ३३. स्फुट ३४. मेघनाद ३५. महानाद ३६. सिंहनाद ३७. वसुध्वज ३५. वज्रनाभ २६. महाबाहु ४०. जितशत्रु ४१. पुरन्दर ४२. अजित ४३. अजितशत्रु ४४. देवानन्द ४५. शद्रुत ४६. मन्दर ४७. हिमबान ४८. विद्युत्केतु ४६. माली ५०. कर्कोटक ५१. हषीकेश ५२. देवदत्त ५३. धनंजय ५४. सगर ५५. स्वर्णबाहु ५६. मद्यवान ५७. अच्युत ५८. दुर्जय ५६. दुर्मुख ६०. वासुकि ६१. कम्बल ६२. त्रिशिरस् ६३. धारण १. त्रिषष्टि के अनुसार जो अग्नि में जलकर मरा। २. जिसे कृष्ण ने मगध का चतुर्थ हिस्से का राज्य दिया था। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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