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१) उववाइय :- यह आचारांगसूत्र का उपांग है। इसमें ४३ सूत्र हैं। भगवान् महावीर कालीन इन्द्रभूति गौतम प्रमुख १४ हजार साधु, चन्दनबाला प्रमुख ३६ हजार साध्वियां, आनंद प्रमुख १ लाख ५९ हजार उपासक तथा जयंतीप्रमुख ३ लाख १८ हजार उपासिकाएं थीं। यह व्रतधारी चतुर्विध संघ की संख्या थी। उनमें से १४ हजार श्रमण और ३६ हजार श्रमणियों में से कुछ उग्र तपस्वी थे, कुछ अभिनिबोधि ज्ञानी, श्रुतज्ञानी, मनः पर्यवज्ञानी और केवलज्ञानी थे, कुछ मनबलिया, वयबलिया, काय बलिया, कुछ खेलोसहि, (श्लेष्म), जल्लोसहि (पसीना), विप्पोसहि (पेशाबलघुनिति), आमोसहि, सव्वोसहि, कुछ कोट्ठबुद्धि, बीज बुद्धि, पडबुद्धि, पयाणुसारी, संभिन्नसोयाखीरासा, महुआसवा, सप्पि आसवा, अक्खीण महाणसिया एवं कुछ उज्जुमई, विउलमई, वैक्रयविक्रीडिता (विउव्वणिड्ढिपत्ता), चारण, विद्याधर एवं आकाशगामिनी विद्याधारी आदि २८ प्रकार के लब्धिधारी थे। इसके अतिरिक्त कुछ कणकावलि, एकावलि, क्षुद्रसिंहनिष्क्रीडित, महासिंहनिष्क्रीडित, भद्र पडिमा, महाभद्रपडिमा, सर्वतो भद्र पडिमा, आयंबिल वर्धमान, मासिक, द्विमासिक जाव दस दस भिक्षुपडिमाधारी, क्षुद्रमोयपडिमाघारी, महद् मोयपडिमाधारी, जवमज्झ चंदपडिमा, वज्रमज्झपडिमा आदि तपाराधक तथा पडिमाधारी श्रमण श्रमणियाँ थीं।
उग्र तपस्वी एवं लब्धि धारियों के अतिरिक्त अन्य अंबड आदि तपस्वियों के आतापना एवं पंचाग्नि तप का भी वर्णन है।
योगनिरोध और केवलीसमुद्घात एवं संलेखना के वर्णन से प्रस्तुत आगम में धर्मध्यान और शुक्लध्यान का स्वरूप स्पष्ट किया है। योग निरोध और केवली समुद्घात की प्रक्रिया दूसरे व तीसरे शुक्लध्यान की है। इस प्रकार इस आगम में ध्यान का विस्तृत वर्णन मिलता है।
प्रस्तुत आगम में प्रयोगात्मक ध्यानयोग की प्रक्रिया के साथ ही साथ ध्यान साधना के मौलिक तत्त्व 'उपशम' 'विवेक' और 'धर्म' का भी उल्लेख है।
यह अमदाबाद से प्रकाशित है।
२) रायपसेणइय :- यह सुयगडांग का उपांग है। उसी में वर्णित विषयों का विस्तृत वर्णन है। श्रद्धा ध्यान का मूल है। सूर्याभदेव के द्वारा इस कथन की पुष्टि की है। साथ ही साथ यह भी स्पष्ट किया है कि क्रूर प्रदेशी (पएसी) राजा केशीश्रमणमुनि के समागम से आत्मचिन्तक साधक बन जाता है। और श्रमणोपासक श्रावक बन कर पोषधव्रत की आराधना से आत्म चिन्तन में लीन रहता है। पत्नी सूर्यकान्ता के विष देने पर भी वे स्वचिन्तन में लीन रहे और सर्व प्राणातिपात आदि दोषों का त्याग करके अपने जैन साधना पद्धति में ध्यान योग
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