Book Title: Jain Sadhna Paddhati me Dhyana yoga
Author(s): Priyadarshanshreeji
Publisher: Ratna Jain Pustakalaya

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Page 640
________________ द व्हरायटीज् ऑफ द मेडिटेटीव्ह एक्सपीरियन्स : डॅनियन गॉलमेन, रीडर अॅण्ड कंपनी, १९७७ दार्शनिक अध्यात्म तत्त्व : स्वामी ब्रह्ममुनि परिव्राजक, स्वामी ब्रह्ममुनि परिव्राजक, वेदानुसंधान सदन, जि. अहमदनगर, १९५७ डिसक्रिप्टिव्ह कॅटलॉग ऑफ मॅन्युस्क्रिप्ट इन द जैन भंडारस् ऐट् पाटन, ओरियन्टल इन्स्टिट्यूट, बरोडा, १९३७ दीघनिकायो (भाग-२): एन. के. भागवत देवीवाणी : स्वामी विवेकानंद, श्रीरामकृष्ण आश्रम, नागपूर, द्वितीय द्वात्रिंशद् - द्वात्रिंशिका : श्री यशोविजय विरचित, श्री दानप्रेम रामचंद्र सूरीश्वर आराधना भवन, रतलाम (म. प्र.), १९८१ द्वात्रिंशद् - द्वात्रिंशिका : सिद्धसेन दिवाकर, श्री विजय सुशील सूरि, बगडीय हसमुखलाल दिपचंद, कार्यवाहक विजय लावण्यसूरि ग्रंथमाला, ज्ञानोपासक समिति धवल-गिरि : न्यायरत्न धुं. गो. विनोद, सिद्धाश्रम शांतिमंदिर, विजयानगर कॉलोनी, पुणे, दूसरी, १९६४ धर्मबिंदु : आ. श्री हरिभद्रसूरि, हिंदी जैन साहित्य प्रचारक मंडल, अहमदाबाद, १९५९ धर्म-दर्शन की रूपरेखा : डॉ. हरेंद्र प्रसाद सिन्हा, मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली-पटना-बिहार धर्मरत्न प्रकरण श्री गुणस्थान - क्रमसिंह, चंद्रकुलांबरनिशाकर श्री शांतिसूरि संकलित स्वोपज्ञवृत्ति समेत, दिव्य दर्शन ट्रस्ट, c/o कुमारपाल वि. शाह, मुंबई ४००००४, वि. सं. २०३८ धर्मरत्नाकर : श्री जयसेन, लालचंद हिराचंद जैन संस्कृति संरक्षक संघ, सोलापूर, ई.स. १९७४ धर्मों की फुलवारी : श्री कृष्णदत्त भट्ट, सेवा संघ प्रकाशन, राजघाट, वाराणसी, १९६३, ६४, ६५ धर्मामृत (अनगार) : पं. आशाधर, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, काशी, प्रथम, १९७७ धर्मामृत (सागर) : पं. प्रवर आशाधर, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, काशी, प्रथम, १९७८ । धम्मपद : अ. धर्मानंद कोसम्बी अ. रामनारायण वि. पाखु, गुजरात पुरातत्त्व मंदिर, अहमदाबाद, प्रथम, १९२४ जैन साधना पद्धति में ध्यान योग ५७९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.

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