Book Title: Jain Sadhna Paddhati me Dhyana yoga
Author(s): Priyadarshanshreeji
Publisher: Ratna Jain Pustakalaya

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Page 630
________________ पंचकल्पाभाष्य (पंचकल्याण भाष्यम्) खमासमणसिरि संघदासगणि, आगमोद्धारक ग्रंथमाला एवं कार्यवाहक- शा. रमणलाल जयचंद्र, कपडवंज, (जि. खेडा) वि. सं. २०२८ प्रशस्तपाद भाष्यम् न्यायकंदलीव्याख्या, श्रीधर भट्ट, निदेशक, अनुसंधान संस्थानस्य संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी, द्वितीय, शकाब्दे, १८९९ । प्रज्ञापनासूत्र (भा. १, २, ३, ४आदि) टीकाकार घासीलालजी म. सा., अ. भा. श्वे. स्था. जैन शास्त्रोद्धार समिति प्रमुख शांतिलाल मंगलदास भाई, अहमदाबाद, प्र.१, १९७४, द्वि. २ १९७५, तृ. ३, १९७७, च. ४, १९८८ __ब्रह्मसूत्र : स्वामी श्री हनुमानदासजी षट्शास्त्री, चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी, १९६९ बृहद्संहिता : वराहमिहिर, चोखम्बा विद्याभवन, वाराणसी १९७७ ब्रह्मसूत्रभाष्यम् : श्री शंकर भगवत्पादाचार्य, श्री कामकोटी कोशस्थानम्, ४, फ्रान्सिस जोसेफ स्ट्रीट, मद्रास-१,१९५४ ब्रह्मसूत्रशारीरभाष्यार्थ (आ. १, २, ३, भा. १, २, ३) विष्णु वामन बापटशास्त्री, पुणे १९२४ बृहद कल्पसूत्रम् (द्वितीयो भाग) : आर्य भद्रबाहुस्वामी, श्री जैन आत्मानंद सभा, भावनगर, १९३६ बृहद् कल्पसूत्र (१ से ६ भाग) : आ. भद्रबाहुस्वामी, श्री आत्मानंद जैन सभा, भावनगर, १९३३,३६,३६,३८,३६,३८ बृहदारण्योपनिषद् (सानुवाद शांकर भाष्यसहित) गीता प्रेस, गोरखपुर, चतुर्थ, सं. २०२५ भगवती सूत्र (१ से ७ भाग) : भ. सुधर्मस्वामी (सं. घेवरचंद बाठिया), अखिल भारतीय साधुमार्गी जैन संस्कृति रक्षक संघ, सैलाना (म. प्र.), १९६६, ६७, ६८, ७०,७२, ७२ भगवती आराधना (भा. १, २) : सेठ लालचंद हीराचंद, जैन संस्कृति - संरक्षक-संघ, सोलापूर (महाराष्ट्र) भगवती सूत्र - अवचूरि : जैन पुस्तकोद्धारककोशस्य कार्यवाहकः सूरत, प्रथम, १९७४ भागवत महापुराणम् (१, २, खंड) महर्षि वेद व्यास, गीता प्रेस, गोरखपुर, तृतीय, सं. २०१३ मज्जीवाजीवाभिगमोपा : श्री मलयगिर्याचार्य, शा. नगीनदास घेलाभाई जव्हेरी, इ. स. १९१९ जैन साधना पद्धति में ध्यान योग Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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