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उस स्थान को साइनाप्स कहते हैं। साइनाप्स की तुलना प्रायः रेल के जंक्शन से की जाती है। साइनाप्स सदा मस्तिष्क और सुषुम्ना में ही होते हैं। मस्तिष्क और सुषुम्ना में एक भूरा पदार्थ होता है। यह नाड़ियों का सूक्ष्म भाग है इसी के अन्तर्गत साइनाप्स रहते हैं। साइनाप्स अन्तर्गामी (ज्ञानवाही) और निर्गामी (क्रियावाही) नाड़ियों के बीच सुषुम्ना और मस्तिष्क के भीतर रहती है। यही साइनाप्स हमारी साधारण और जटिल दोनों प्रकार के क्रियाओं में कार्य करती है। इस प्रकार हमारे शरीर में होने वाली सहज क्रिया (छींकना, खुजलाना, आंसू आना आदि) में एवं उत्तेजक पदार्थ, इन्द्रिय आदि में ज्ञानवाही नाड़ी, साइनाप्स, गतिवाही नाड़ी और पेशियां काम करती हैं।
नाड़ी तंत्र का दूसरा विभाग है - केन्द्रीय नाड़ी तंत्र। उसके दो विभाग हैं१) मस्तिष्क-सुषुम्ना नाड़ी तंत्र (ऊपरी भाग जहां उसका दिमाग से संबंध होता है), २) मस्तिष्क। इसके तीन विभाग किये गये हैं - बृहत् मस्तिष्क, लघुमस्तिष्क और सेतु। अन्तर्गामी नाड़ी किसी इन्द्रिय द्वारा गृहीत उत्तेजना को केन्द्रीय नाड़ी तंत्र की ओर ले जाती है। अन्तर्गामी नाड़ियों की इकतीस जोड़ी होती हैं, जो सुषुम्ना में आकर मिलती हैं। प्रत्येक जोड़ी की एक नाड़ी शरीर के दाहिने अंग से और दूसरी नाड़ी शरीर की बांयी ओर से आती है। जब अन्तर्गामी नाड़ियां सुषुम्ना से मिलती हैं तो निर्गामी नाड़ियों के साथ एक गट्ठर में बंध जाती हैं। गतिवाही नाड़ियां किसी भी उत्तेजना का प्रवाह पेशियों और शरीर में स्थित चक्रों की ओर करती हैं। अन्तर्गामी नाड़ियां सुषुम्ना के माध्यम से किसी भी ज्ञान उत्तेजना को मस्तिष्क की ओर ले जाती हैं। सुषुम्ना में प्रवेश होने पर अन्तर्गामी नाड़ी के कई भाग हो जाते हैं। एक छोटे भाग का सुषुम्ना में अन्त होता है और बड़ा भाग मस्तिष्क की ओर चला जाता है। मस्तिष्क तक पहुंचने में देर लगती है, उससे पहले ही सुषुम्ना निर्गामी नाड़ी द्वारा उचित आज्ञा प्रदान कर देती है, जिससे पेशियां अपना कार्य करने लग जाती हैं। सुषुम्ना को शीर्षक कहा गया है। सुषुम्ना शीर्षक सुषुम्ना का सबसे ऊपरी भाग है। इस प्रकार केन्द्रिय नाड़ी तंत्र का एक भाग सुषुम्ना नाड़ी है, जो मस्तिष्क में संदेश पहुंचाने का तथा वहां से आज्ञा लेकर पेशियों तक पहुंचाने का काम करती है। सुषुम्ना नाड़ी के दो कार्य है संदेश पहुंचाना और लाना।
केन्द्रीय नाड़ी तंत्र का दूसरा विभाग मस्तिष्क है। इसके तीन विभाग हैं। इन तीनों का ही भिन्न-भिन्न कार्य है। बृहत् मस्तिष्क ज्ञान क्रिया का उत्पादन स्थल है। लघु मस्तिष्क का प्रधान कार्य है विभिन्न प्रकार की उत्तेजनाओं से संबंध जोड़ना और शरीर में समतोलपना रखना। बृहत् मस्तिष्क दो भागों में बंटा हुआ है। एक दाहिनी ओर है जिसे दक्षिण गोलार्द्ध कहते हैं और दूसरा बांई ओर रहता है, जिसे वाम गोलार्द्ध कहते हैं। लघुमस्तिष्क बृहत् मस्तिष्क के नीचे स्थित है। इसके भी बृहत् मस्तिष्क की तरह दो
ध्यान का मूल्यांकन
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