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जैन रामायण तृतीय सर्ग।
तीसरा सर्ग ।
or>हनुमानकी उत्पत्ति और वरुणका साधन ।
अंजनासुंदरीका जन्म। वैतान्य गिरिपर 'आदित्यपुर ' नामका एक नगर है। उसमें 'प्रहलाद' नामका एक राजा था । उसके 'केतुमती' नामक प्रिया थी। उसके गर्भसे एक पुत्र उत्पन्न हुआ। उसका नाम 'पवनंजय' रक्खा गया । वह बलसे और आकाशमें गमन करनेसे पवनके समान विजयी था। ___ उसी समयमें भरत क्षेत्रमें समुद्रके किनारे वाले दंती पर्वतके ऊपर 'महेन्द्र ' नामका नगर था। उसमें 'महेन्द्र' नामक विद्याधरोंका राजा राज्य करता था । उसके 'हृदयसुंदरी' नामक पत्नी थी। उसने अरिंदम आदि सौ पुत्रोंको जन्म देनेके बाद 'अंजनासुंदरी' नामक कन्याको जन्म दिया। जब वह बाला उत्कट यौवनवती हुई, तब उसके पिताको योग्य वरकी चिन्ता हुई । मंत्रियोंने उसके योग्य हजारों जवान विद्याधरोंके नाम बताये। मयूर उसे एक भी वर पसंद नहीं आया । तब महेंद्रकी