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हनुमानकी उत्पत्ति और वरुणका साधन ।
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शोधके लिए भेजे थे, उनमेंके कुछ विद्याधर हनुपुरमें भी गये। उन्होंने वहाँ प्रतिसूर्य और अंजनाको खबर दी किपवनंजयने अंजनाके विरह दुःखसे दुःखी होकर अग्निमें प्रवेश करनेकी प्रतिज्ञा की है। ___ यह खबर सुन, मानो किसीने जहरका प्याला पिलाया है ऐसे 'हाय ! मै मारी गई' चीतकार कर, अंजना मूर्छित हो गई। चंदनके जलके मुखपर छींटे लगाने और पंखेसे पवन डालने, पर उसको वापिस होश आया ।
वह उठ बैठी और दीनमुख हो, रोने और विलापकरने लगी:-" पतिव्रता स्त्रियाँ पतिके लिए अग्निमें प्रवेश करती हैं; क्योंकि पतिविना उनका जीवन शून्य हो जाता है । मगर जो श्रीमंत पति हैं, हजारों स्त्रियोंके भोक्ता हैं, उनको तो प्रियाका शोक क्षणिक ही होना चाहिए । ऐसा होने पर भी वे क्यों अग्निमें प्रवेश करने लगे हैं ? हे नाथ ! मेरे लिए-मेरे विरहके कारण-आप अग्निमें प्रवेश करें और आपके विरहमें मैं चिरकालतक जीवित रहूँ; यह कितना विपरीत है ?
हा! जाना । वे महान सत्वधारी हैं और मैं अल्प सत्ववाली हूँ । उनमें और मुझमें नीलमणि और काचके जितना अन्तर है । इसमें मेरे सास सुसरेका या माता पिताका कुछ भी दोष नहीं है । मैं ही मंद भाग्या हूँ; सब मेरे ही कर्मोंका दोष है।"