Book Title: Jain Ramayana
Author(s): Krushnalal Varma
Publisher: Granthbhandar Mumbai

View full book text
Previous | Next

Page 476
________________ रामका निर्वाण । ४३१ AAAAAAAAAAAAAA रावणने पूर्वजन्मके कौनसे कर्मके कारण सीताका हरण किया ? कौनसे कर्मके कारण लक्ष्मणने उसको मारा ? और सुग्रीव, भामंडल, लवण, अंकुश और मैं कौनसे कर्मके कारण रामपर इतना स्नेह रखते हैं ?" ___ मुनि बोले:- दक्षिण भरता में क्षेमपुर नामका ‘एक नगर है । उसमें नयदत्त नामा एक वणिक रहता था। उसकी स्त्री सुनंदाके गर्भसे दो पुत्र उत्पन्न हुए थे। एकका नाम था धनदत्त और दूसरेका वसुदत्त । उन दोनोंकी याज्ञवल्क्य नामा एक ब्राह्मणके साथ मित्रता हो गई। उसी नगरमें सागरदत्त नामा एक वणिक और था। उसके दो सन्तान थी। एक था गुणधर नामा पुत्र और दूसरी थी गुणवती नामा कन्या । सागरदत्तने नयदत्तके गुणवान पुत्र धनदत्त के साथ अपनी कन्याकी सगाई कर दी। कन्याकी माता रत्नप्रभाने-धनके लोभमें आकर, श्रीकान्त नामा एक धनाढ्यके साथ गुप्त रीतिसे-कन्याका संबंध करना ठीक किया। याज्ञवल्क्यको यह बात मालूम हो गई । मित्रोंकी वंचना सहनमें असमर्थ याज्ञवल्क्यने अपने मित्रोंको यह खबर सुनाई । सुनकर वसुदत्त श्रीकान्तको मारनेके लिए गया । दोनोंके परस्पर तलवारकी चोटें लगीं। दोनों ही इस संसारको छोड़कर चल बसे । . वहाँसे मरकर, दोनों विंध्या-टवीमें मृग हुए। गुणववी भी कैवारी ही मरकर उसी अटवीमें मृगी हुई । वहाँ भी उन्होंने

Loading...

Page Navigation
1 ... 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504