Book Title: Jain Muni Ke Vrataropan Ki Traikalik Upayogita Navyayug ke Sandarbh Me
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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उपस्थापना (पंचमहाव्रत आरोपण) विधि का रहस्यमयी अन्वेषण... 191 अत्याचार करना भी चोरी है।
3. जमीन के मालिक के द्वारा श्रमिकों या गरीब किसानों का शोषण करना भी चोरी है।
4. उद्योगपतियों के द्वारा मजदूर वर्ग को उनके परिश्रम के अनुपात में वेतन नहीं देना या कम देना भी चोरी है। ____5. व्यापारियों के द्वारा वस्तुओं में मिलावट करना या उचित मूल्य से अधिक दाम लेना या कम माप-तौल करना भी चोरी है।
6. वकीलों के द्वारा अर्थ के लोभ से झूठे मुकदमें लड़वाना या लड़ना और जान-बूझकर निरपराधी को अपराधी घोषित करना भी चोरी है। ___7. अध्यापक आदि के द्वारा भी विद्यार्थी को न्यायपूर्वक एवं नैतिक संस्कारपूर्वक नहीं पढ़ाना अथवा उन्हें अन्याय, अनीति, अत्याचार में प्रवृत्त करना भी चौर्यकर्म है। अचौर्य महाव्रत का माहात्म्य ___अचौर्य अहिंसा और सत्य का विराट रूप है। अचौर्य महाव्रत का मूल्य आध्यात्मिक एवं सामाजिक दोनों दृष्टियों से आंका जा सकता है। इस व्रत का माहात्म्य बतलाते हुए सिन्दूर प्रकरण में कहा गया है जो व्यक्ति अदत्त वस्तु का ग्रहण नहीं करता है सिद्धि उसकी अभिलाषा करती है, समृद्धि उसे स्वीकार करती है, कीर्ति उसके पास आती है, किसी प्रकार की सांसारिक पीड़ा उसे सताती नहीं है, सुगति उसकी, स्पृहा करती है, दुर्गति उसे निहारती भी नहीं है
और विपत्ति उसका परित्याग कर देती हैं।69 ___आचार्य पतञ्जलि ने योग दर्शन में कहा है - अस्तेय व्रत का पालन करने से उसे सर्वरत्न प्राप्त होते हैं और समस्त अनुकूलताएँ उसके अधीन होती हैं।70
जो इस व्रत को स्वीकार करता है वह उपभोग्य वस्तुओं के प्रति इतना अवश्य सोचता है कि हम कितने और कौन से पदार्थ लेने के अधिकारी हैं ? किस पदार्थ को किस विधि से और किस तरह से लेना चाहिए ? जिन पदार्थों को हम उपयोग में ले रहे हैं वे हमारे लिए उपभोग के लिए उचित हैं या नहीं? यदि उचित है तो कितनी मात्रा में उचित है? जिससे दूसरों के अधिकार का हनन न हो, दूसरों को जीवन जीने में कठिनाई न आये। इस तरह के विचार अस्तेय व्रत की महिमा को दर्शाते हैं।