Book Title: Jain Muni Ke Vrataropan Ki Traikalik Upayogita Navyayug ke Sandarbh Me
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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________________ PRASAnther सज्जन सरिता की सुनहरी लहरें वर्तमान संदर्भो में प्रव्रज्या संस्कार कितना प्रासंगिक? दीक्षा दाता एवं दीक्षा ग्राही की Primary qualification ? नपुंसक, विकलांग आदि दीक्षा के अयोग्य क्यों? बाल दीक्षा के विरोध में उठते ज्वलंत प्रश्न एवं उनका शास्त्रोक्त समाधान? तीर्थंकरों ने मुनि दीक्षा के उपदेश को प्राथमिकता क्यों दी? दीक्षा के लिए अनुमति आवश्यक क्यों? * दीक्षा सम्बन्धी विधि-विधानों के मार्मिक रहस्य? मण्डली तप का वहन मुनि किसलिए करे? मुनि के लिए केशलोच की अनिवार्यता क्यों? * रात्रिभोजन आध्यात्मिक, वैज्ञानिक, प्राकृतिक एवं शारीरिक दृष्टि से लाभप्रद कैसे? मुनि जीवन में पाँच महाव्रतों का आरोपण क्यों करवाया जाता है? SAJJANMANI GRANTHMALA Website : www.jainsajjanmani.com, E-mail : vidhiprabha@gmail.com ISBN 978-81-910801-6-2 (IV)