Book Title: Jain Muni Ke Vrataropan Ki Traikalik Upayogita Navyayug ke Sandarbh Me
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

View full book text
Previous | Next

Page 332
________________ 270...जैन मुनि के व्रतारोपण की त्रैकालिक उपयोगिता क. ग्रन्थ का नाम | लेखक/संपादक प्रकाशक वर्ष 22. उमास्वामी श्रावकाचार |पं. हीरालाल जैन (श्रावकाचार संग्रह) 23. उपधान स्मारिका | जैन संस्कृति संरक्षक संघ, |1988 सोलापुर 24. उपासकदशासूत्र संपा.युवाचार्य महाप्रज्ञ | जैन विश्व भारती, लाडनूं वि.सं. (अंगसुत्तणि) 2049 |25. ऋग्वेद संहिता (भा. 1) संपा.श्रीराम शर्मा ब्रह्मवर्चस शांतिकुंज, वि.सं. आचार्य हरिद्वार |2056 |26. कल्पसूत्र संपा. विनयसागर | प्राकृत भारती अकादमी, | जयपुर | 1984 27. गणिविद्या अनु. डॉ. सुरेश आगम अहिंसा-समता एवं सिसोदिया प्राकृत संस्थान, उदयपुर 28. चारित्रसार चामुण्डराय रचित भा.दि. जैन ग्रंथमाला, मुंबई/1974 29. जिणधम्मो 30. जैन आचार : सिद्धान्त आचार्य देवेन्द्र मुनि | तारक गुरु जैन ग्रंथालय, 1982 और स्वरूप उदयपुर 31. जैन भाषा दर्शन डॉ. सागरमल | भोगीलाल लेहरचन्द 1986 | भारतीय संस्कृति संस्थान, दिल्ली 32. जैन और बौद्ध भिक्षुणी | डॉ. अरुण प्रताप सिंह पार्श्वनाथ विद्यापीठ,बनारस 1986 संघ पार्श्वनाथ विद्यापीठ,बनारस 1982 | 33. जैन, बौद्ध और गीता डॉ. सागरमल जैन के आचार दर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन (भा. 2)

Loading...

Page Navigation
1 ... 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344