Book Title: Jain Muni Ke Vrataropan Ki Traikalik Upayogita Navyayug ke Sandarbh Me
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 336
________________ 274...जैन मुनि के व्रतारोपण की त्रैकालिक उपयोगिता प्रकाशक | वर्ष __ग्रन्थ का नाम | लेखक/संपादक 67. स्थानांगसूत्र |संपा. मधुकरमुनि आगम प्रकाशन समिति, 1991 ब्यावर 68. स्थानांग टीका ____ @ @ F टीका. अभयदेवसूरि | रायबहादुर धनपतसिंह, बनारस 1880| 69. स्कंद पुराण |70.|संवेग रंगशाला आचार्य जिनचन्द्रसूरि |पं. बाबूभाई सवचन्द्र रचित | मनसुखभाई पोल, कालुपुर, अहमदाबाद |71. संस्कृत हिन्दी कोश वामन शिवराम आप्टे | मोतीलाल बनारसीदास, 1966 दिल्ली |72. संस्तारक प्रकीर्णक अनु. डॉ. सुरेश सिसोदिया आगम अहिंसा समता एवं |1995 प्राकृत संस्थान, उदयपुर भारतीय ज्ञानपीठ, काशी 1962 73. हरिवंश पुराण आचार्य जिनसेन |74. हुम्बुज श्रमण भक्ति संग्रह (भा. 1) श्री दिगम्बर जैन दिव्य ध्वनि वि.सं. प्रकाशन, जयपुर 2521 1957 75. तत्त्वार्थ सूत्र | उमास्वाति रचित |76. तत्त्वार्थ राजवार्तिक आचार्य अकलंकदेव | भारतीय ज्ञानपीठ, काशी 1958 (भा. 1-2) 77. तत्त्वार्थ वृत्ति वृत्तिकार सिद्धसेनगणि जैन पुस्तकोद्धार फंड, मुंबई |1982 78. तिलोयपण्णत्ति (भा. 1) संपा. डॉ. चेतनप्रकाश केन्द्रीय साहित्य भंडार, | पाटनी कोटा

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