Book Title: Jain Muni Ke Vrataropan Ki Traikalik Upayogita Navyayug ke Sandarbh Me
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

View full book text
Previous | Next

Page 321
________________ उपस्थापना (पंचमहाव्रत आरोपण) विधि का रहस्यमयी अन्वेषण... 259 (ख) स्थानांगसूत्र, संपा. मधुकरमुनि, 10/89 (ग) प्रज्ञापनासूत्र, भाषापद, 11/862 (घ) प्रवचनसारोद्धार, 139/891 57. (क) दशवैकालिकनियुक्ति, 7/176, पृ. 160 (ख) स्थानांगसूत्र, 10/90 (ग) प्रज्ञापनासूत्र, भाषापद, 11/863 (घ) प्रवचनसारोद्धार, 139/892 58. (क) दशवैकालिकनियुक्ति, 7/177 (ख) स्थानांगसूत्र, संपा. मधुकरमुनि, 10/91 (ग) प्रज्ञापनासूत्र, संपा. मधुकरमुनि, भाषापद 11/865 (घ) प्रवचनसारोद्धार, 893 59. (क) दशवैकालिकनियुक्ति, 7/178-79 (ख) जैन भाषा दर्शन, डॉ. सागरमल जैन, पृ. 96 (ग) प्रज्ञापनासूत्र, भाषापद 11/866 (घ) प्रवचनसारोद्धार, 894-895 60. दशवैकालिक हारिभद्रीय टीका, पृ. 147 61. आचारांगसूत्र, संपा. मधुकरमुनि, 2/3/3/510 62. निशीथचूर्णि, अमरमुनि, 312 63. (क) आचारांगसूत्र, संपा. मधुकरमुनि, 2/3/3/510 (ख) समवायांगसूत्र, संपा. मधुकरमुनि, 25/1 (ग) प्रवचनसारोद्धार, गा. 637 64. पंचवस्तुक, गा. 656 65. दशवैकालिकसूत्र, संपा. मधुकरमुनि, 4/13 66. जैन आचार : सिद्धान्त और स्वरूप, पृ. 813 67. दशवैकालिकसूत्र, संपा. मधुकरमुनि, 5/2/48 68. प्रश्नव्याकरणसूत्र, संपा. मधुकरमुनि, आश्रवद्वार 69. तमभिलषति सिद्धिस्तं वृणीते समृद्धिः, तमभिसरति कीर्तिर मुंचते तं भवार्तिः। स्पृहयति सुगतिस्तं, नेक्षते दुर्गतिस्तम्,

Loading...

Page Navigation
1 ... 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344