Book Title: Jain Kathamala Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar View full book textPage 9
________________ प्रकाशकीय जैन साहित्य के अक्षय कथा भण्डार का दोहन करके सरल-सुवोध तथा __ सरस भाषा-शैली में कथाओं का प्रकाशन करने की योजना आज से लगभग ५ वर्ष पूर्व हमने प्रारम्भ की थी। इस बीच अव तक २५ भाग प्रकाशित हो चुके हैं और प्रथम ६ भागों का तो द्वितीय संस्करण भी हो गया है। विभिन्न क्षेत्रों के पाठकों व विद्वानों की प्रतिक्रिया से हमारा उत्साह और बढ़ा है अतः हमने कथामाला की शृंखला को आगे बढ़ाते रहने का संकल्प किया है। - ___ उपाध्याय श्री मधुकर मुनिजी म० का प्रारम्भ से ही लक्ष्य था-धीरेधीरे समग्र जैन कथा साहित्य का दोहन कर लेना। अब तक के.भागों में पौराणिक तथा ऐतिहासिक जैन कथा साहित्य की लगभग २५० से अधिक कहानियाँ आ चुकी हैं । त्रिषष्टिशलाकापुरुष चरित्र को आधार मानकर वासुदेव-बलदेवों का जीवन वृत्त लिखा जा रहा है, जिसके अन्तर्गत यह अप्टम बलदेव मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम एवं वासुदेव लक्ष्मण का जीवन वृत्त प्रकाशित हो रहा है। मर्यादा पुरुपोत्तम राम का जीवन भारतीय साहित्य की ही नहीं अपितु विश्व साहित्य की एक अमूल्य धरोहर है, एक आदर्श प्रेरणास्रोत है । राम, सीता और लक्ष्मण का आदर्श चरित्र भारतीय संस्कृति का जीवंत काव्य है। मानव को महामानवीय या अतिमानवीय शक्ति की ओर गतिशील करता है । हिन्दू ग्रन्थों एवं जैन ग्रन्थों में श्रीराम की जीवन घटनाओं के सम्बन्ध में कुछ मतभेद भी हैं, पर समानताएं अधिक हैं, और एक सार्वभौम तत्व समान है कि उनके महान गुणों व आदर्शों का जीवन में अनुसरण कर हम सच्चे मानव बन सकते है-यह प्रेरणा ।Page Navigation
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