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सनत्कुमार चक्रवर्ती हस्तिनापुर नगर में अश्वसेन राजा का शासन था। उनके सहदेवी नामक सुलक्षणी रानी थी। उसने चौदह स्वप्नों द्वारा सूचित पुत्र रत्न को जन्म दिया । राजा ने उसका नाम सनत्कुमार रखा | वाल्यकाल पूर्ण करके एवं विद्याध्ययन समाप्त कर सनत्कुमार ने युवावस्था में प्रवेश किया।
सनत्कुमार का महेन्द्रसिंह नामक एक वाल-सखा था। ये दोनों कुमार एक बार मकरन्द नामक उद्यान में क्रीड़ा करने के लिए गये। क्रीड़ा के लिए पिता द्वारा उपहार स्वरूप दिये गये जलधि-कल्लोल अश्व को भी सनत्कुमार ने साथ लिया | तनिक भ्रमण करने के पश्चात् राजकुमार अश्व पर सवार हुआ कि तुरन्त वह अश्व तीव्र वेग से दौड़ने लगा | पवन वेग से दौड़ता हुआ वह अश्व गांवों, नगरों को पार करता हुआ एक जंगल में प्रविष्ट हुआ। दिन भर दौड़ने के पश्चात् वह एक जंगल के मध्य में जाकर रुका । सनत्कुमार अश्च से नीचे उतरा और तत्क्षण अश्व चक्कर खाकर गिर पड़ा और उसकी मृत्यु हो गई।
राजकुमार मित्र एवं अश्व से विलग पड़ गया, परन्तु उसका भाग्य प्रबल था जिससे जंगल में भी उसके लिये मंगल हो गया। जंगल से बाहर निकलते ही आठ विद्याधर
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सनत्कुमार जैसे ही अध पर सवार हुआ वैसे ही विद्युत वेग से दौडता हुआ वह अथ गांव,
नगर को पार करता हुआ भयानक अटवी में प्रविष्ट हुआ।