________________
पुण्य, पाप, संयोग अर्थात् पुण्याढ्य राजा की कथा विगाडा और अंग संकुचित कर लिये । तत्पश्चात् तीनों मित्र हर्षित होते हुए नगर की
ओर लौट चलें । उस समय वामन ने कहा, 'परोपकार जैसी वस्तु हमारी क्षत्रिय जाति के अतिरिक्त दूसरों में नहीं है । हमने मुनि के आँख में काँटा देखा तो तुरन्त रुक गये
और काँटा निकाल दिया । यहाँ होकर अनेक व्यक्ति निकलते रहते हैं, परन्तु किसी को कोई चिन्ता है? सचमुच, हमारे इस काम का हमें बहुत फल मिलेगा।'
हँसते हँसते राम ने कहा, 'फल तो मिलना होगा तव मिलेगा। मुझे तो अभी तुरन्त चतुप्पद (घोडा) बनना पड़ा ।'
संग्राम बोला, 'मित्र! ऐसा नहीं वोलना चाहिये । हँसते-हँसते ऐसा बोलने से पुण्य समाप्त हो जाते हैं । काँटा निकाला उसके फल से तो निष्कंटक राज्य प्राप्त होगा।'
वामन ने कहा, ' ऐसी क्या बात करता है? मुनि की परिचर्या का फल तो अपार होता है।'
राजन्! वे तीनों मित्र अपना जीवन पूर्ण करके चल बसे । वामन तू है, राम बना हरितराज और संग्राम मैं हूँ । मुनि की परिचर्या से मैंने व संग्राम ने पूर्व भाव में निष्कंटक राज्य प्राप्ति का संकल्प किया था, व जिसके कारण मुझे निष्कंटक राज्य प्राप्त हुआ।
'मुझे तो अभी चतुष्पद बनना पड़ा' - यह कहने के कारण राम मर कर हाथी बना, उसे जाति रमरण ज्ञान हुआ और वह मुझे प्रतिवोध देने के लिए मेरे राज्य-द्वार पर आया और मैंने दीक्षा अगीकार की।
मुनि ने कहा, 'राजन्! तू पुण्याढ्य वना यह पूर्व भव की परिचर्या का फल है, परन्तु तु जो अवन्ति के सुवाहु राजा के भव में छत्रधर किन्नर के घर नीच कुल में उत्पन्न हुआ वह पूर्व के क्षत्रियत्व का अभिमान किया था उसका प्रताप था।
तू वामन क्यों हुआ वह सुन । किनर छत्रधर के घर पर तेरा नाम श्रीदत्त रखा गया था । तेरा सुन्दर रूप और कान्ति देख कर सुवाहु राजा के किसी ने कान भर दिये कि 'ऐसे लक्षणों वाला राजा होता है।'
राजा को राज्य जाने का भय लगा। उसने श्रीदत्त का वध कराने का षडयन्त्र रचा, परन्तु तुझे उसका पता लगते ही तू जंगल में चला गया। जंगल में पूर्व भव में मुनि के काँटा निकालते समय उनके मैल से जो संकोच किया था उस पाप का उदय हुआ और तू संकोच फल खाकर सोया जिससे तेरी देह संकुचित हो गई।
राजन्! एक हाथ देना है और दूसरे हाथ से लेना है । किया हुआ कर्म भोगना ही पड़ेगा। तुने पुण्य एवं पाप एक साथ उपार्जित किये, जिससे तुझे राजऋद्धि रूप सुख और वामन रूप रूपी दुःख एक साथ प्राप्त हुए।'