Book Title: Jain Inscriptions of Rajasthan
Author(s): Ramvallabh Somani
Publisher: Rajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur

View full book text
Previous | Next

Page 286
________________ मात ठ० सीतादेव्योः मूर्तियो (यो) देव श्रीऋषभनाथाप्रे कुता अक्षयतृतीयादिने प्राचार्य श्रीधर्मधोषसूरिभिः प्रतिष्टितः (प्रतिष्ठिताः) । मंगलं महाश्रीः । No. 9 Inscriptions of Mantri Yashoveer ___V. E. 1245 संवत् 1245 वर्षे वैशाख वदि 5 गुरौ श्रीयशोदेवसूरिशिष्यैः श्रीनेमिनाथप्रतिमा श्रीदेवचन्द्रसूरिभिः प्रतिष्ठिता। श्रीषंडेरकगच्छे दुसा० श्री उदयसिंह-पुत्रेण मन्त्री श्रीयशोवीरेण मातृ दु० उदयश्रीश्रेयोऽर्थ प्रतिमा सतोरणा सद्दे वकुलिका कारिता श्री मद्धर्कटवंशे.......... 9A ह।। सं० 1245 वर्षे।। श्रीषंडेरकगच्छे महति यशोभद्रसूरिसन्ताने । श्रीशान्तिसूरिरास्ते तत्पादसरोजयुगभृगः ।।1।। वितीर्णधनसंचयः क्षतविपक्षलक्षाग्रणीः कृतोरुगुरुरैवतप्रमुखतीर्थयात्रोत्सवः । दधत क्षितिभृतां मुदे विशदधीः स दुःसाधता मभूदुदयसंज्ञया विविधवीरचूडामणिः ।।2।। तदंगजन्मास्ति कवीन्द्रबन्धुर्मंत्री यशोवीर इति प्रसिद्धः । ब्राह्मीरमाभ्यां युगपद्गुणोत्थविरोधशान्त्यर्थमिवाश्रितो यः ।।3।। तेन सुमतिना जिनमतनैपुण्यात् कारिता स्वपुण्याय । श्रीनेमिबिम्बाधिष्ठितमध्या सद्देवकुलिकेयम् ।।4।। शुभं भवतु ॥ No. 10 The Vimal Vasati Inscription of V. E. 1350 (1) ई०॥ संवत् 1350 वर्षे माघसुदि 1 भौमेऽद्य ह श्रीमदणहिल्ल पाटकाधिष्टित (ष्ठि)त परमेश्वर-परमभट्टारक-उमापतिवरलब्धप्रौढप्रतावा (पा) क्रांतदि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350