Book Title: Jain Inscriptions of Rajasthan
Author(s): Ramvallabh Somani
Publisher: Rajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur

Previous | Next

Page 309
________________ No. 20 A Inscription of Pittalahar temple, Abu (1) सं० 1494 वर्षे पित्तलमय श्रीऋषभप्रासादे त्रिद्वारो मण्डपो नवचतुष्किक (का) च तपा-श्रीसंघेन कारितो तपा-श्रीसोमसुन्दरसूरीणामुपदेशेन ॥श्री।। सूत्र हीर नाथु No. 20 B [सं०]1495 वर्षे ऊकेशवंशे दरडागोत्रीय मण्डलिक माला महिपतिश्रावकैः श्रीगौतमस्वामिमूत्ति (तिः) कारिता श्रीखरतरगच्छे। No.21 (Circa 15th century AD) मेवाडाज्ञाती सूत्रधार मिहिया भा० नागल सुत सूत्रधार देवा भा० करमी सू० हला गदा हापा नाना हाना कला सह (हि)तस्य (उ) पाद्यताः No. 22 The Inscription of Hastikundi ..................। विरके (?) ..."पजे (?) [रक्षासंस्था ? ] जवस्तवः। परिशासतु ना....... "परा [र्थख्या ? ]पना जिनाः ।। 1 ।। ते वः पान्तु [जिना] विनामसमये [यत्पा] दपद्मोन्मुखप्रेखासंख्यमयूख [शे] खरनखश्रेणीषु विवो [बिम्बो] दयात् । प्रायेकादशभिर्गुणं दशशती शक्रस्य शुम्भदृशां, कस्य स्याद् गुणकारको न यदि वा स्वच्छात्मनां सङ्गमः ।। 2 ।। * .... " .... त ....... नासत्करो लो[प] शोभितः ।। सु से (शे) [खर] ........ लौ मूनि रूढो महीभृताम् ।। 3 ।। अभिवि (बि) भ्रद्रुचि कान्तां सावित्री [चतु] रा [न] नः। हरिवर्मा व (ब) भूवात्र भूविभुर्भुवनाधिकः ।।4।। 30 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350