Book Title: Jain Inscriptions of Rajasthan
Author(s): Ramvallabh Somani
Publisher: Rajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur

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Page 341
________________ ( 13 ) ( 14 ) ( 15 ) ( 16 ) ( 17 ) ( 18 ) न [ सिं] ह णाखो माल्हण गजसीह तिणा पुत्र [ सोनी नरपति ज यता विजयपाल [न] रपति भा र्या नायकदेवि ( वी ) पुत्र लखमीध - र भुवणपाल [सु] हडपाल द्वि तीय [भ] ार्या जल्हणदेवि (वी) इत्यादि कुटम्ब (टुम्ब ) सहिते [न] भा - (20) र्या नायकदेवि (वी) [ ] योर्थे ( 19 ) ( 21 ) देवश्रीपार्श्वनाथचैत्ये पञ्च ( 22 ) मीबलिनिमित्त (त्तं) निश्रा [नि ] क्षे( 23 ) प [ह]ट्टमेकं नरपतिना दत्त (त्तं ) ( 24 ) तत् (द्) भाटकेन देवश्री पा [] - ( 25 ) नाथगोष्टि (ष्ठि ) [ कै: प्रतिव] र्षः (षं ) आचां [चं ] द्रार्कं पञ्चमीव ( ब ) लि: ( 26 ) ( 27 ) कार्या (र्यः) ।। [ शुभं ] भव [ तु ] ॥ छ ॥ ( 1 ) ॥ ६० ॥ संवत् 1681 वर्षे प्रथम चैत्र वदि 5 गुरौ प्रद्येह श्री राठोड वंशे श्रीसूरसिंह पट्टे श्रीमहाराज श्रीगजसिंहजी 62 No. 41 Jain-temple Jalore Fort Inscription ( 2 ) विजयिराज्ये मुहणोतगोत्रे वृद्ध उसवाल ज्ञातीय सा० जेसा भार्या जयवंत दे तुत्र सा० जयराज भार्या मनोरथदे पुत्र सा० सादा सुभा सामल सुरताण प्रमुख परिवारपुण्यार्थं श्री स्वर्ण गिरिगह (ढ) दु ( 3 ) गपरिस्थित श्रीमत्कुमरविहारे श्रीमति महावीर चैत्ये सा० जेसा भार्या जयवंतदे पुत्र सा० जयमलजी वृद्धभार्या सरूपदे पुत्र सा० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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