Book Title: Jain Inscriptions of Rajasthan
Author(s): Ramvallabh Somani
Publisher: Rajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
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( 11 )
जमध्यात ( त्) मठपतिना गोष्ठि
( 12 )
कैश्च द्रम 10 दशकं वेचनी
(13) यं पूजाविधाने देवश्रीमहावीरस्य ।।
( 1 ) ॐ ।। संवत्
No. 38
1221 श्रीजावालिपुरीयकाञ्चर्ना | ग ] रिगढस्योपरि प्रभुश्री सूरिप्रबोधितश्री गुर्ज्ज रध राधीश्वर परमार्हतचौल्लुक्य
Jalore inscription
( 2 ) महारा [ज]धिराजश्री [ कु] मारपालदेवकारिते श्रीपा [व] - नाथसत्कमू [ल ] विंब ( बिंब) सहित श्रीकुव रविहाराभिधाने जैनचैत्ये । सद्विधिप्रव [ र्त्त ] नाय वृ ( बृ ) हद् गच्छीयवा
( 3 ) दीन्द्रश्रीदेव । चार्याणां पक्षे प्राचन्द्रार्कं समप्पते ॥ सं० 1242 वर्षे एतद्देसा (शा) धिपचाहमान कुलतिलक महाराजश्री समरसिंहदेवादेशेन भां० पासू पुत्र भां० यशो
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(4) वीरेण स [ मु]द्धृते
श्रीमद्राजकुलादेशेन श्रीदे [वा ] चार्यशिष्यैः श्री पूर्ण देवाचार्यैः । सं० 1256 वर्षे ज्येष्ठ सु० 11 श्रीपार्श्वनाथ देवे तोरणादीनां प्रतिष्ठाकार्ये कृते । मूलशिख(5) रेव (च) कनकमयध्वजदण्डस्य ध्वजारोपणप्रतिष्ठायां कृतायां ।। सं० 1268 वर्षे दीपोत्सवदिने अभिनवनिष्पन्न प्रेक्षा मध्यमण्डपे श्रीपूर्णदेवसूरिशिष्यैः श्रीरामचन्द्राचार्यै [ : ] सुवर्णमयकलसारोपणप्रतिष्ठा कृता ।। सु (शु) भं भवतु ॥ छ ॥
No. 39
Jalore inscription
(1) र्द० ।। संवत् 1323 वर्षे मार्गसु(2) दि 5 बुधे महाराजश्रीचा
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