Book Title: Jain Inscriptions of Rajasthan
Author(s): Ramvallabh Somani
Publisher: Rajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
View full book text
________________
प्रोद्यद्वृषालंकृतम् ॥ ताराकैरवमिन्दुधामसलिलं सद्राजहंसास्पद यावत्तावदिहादिनाथभवने नन्द्यादसौ मण्डप : 117 | कृतिरियं श्रीपूर्णभद्रसूरीणाम् ॥ भद्रमस्तु || श्रीसंघाय ||
No. 36
Jalore inscription
ॐ संवत 1294 वर्षे (र्षे) श्रीमालीय श्रे० वी सलसुत नागदेवस्तत्पुत्रा देल्हा सलक्षण झाम्पाख्या: । झाम्पा पुत्रो वीजाकस्तेन देव सहितेन पितृ झां [पा ] श्रेयोर्थं श्री जा [ बा ] लिपुरीय श्रीमहावीरजिनचैत्ये करोदिः कारिता । शुभं भवतु ॥
No. 37
Jain Education International
Jalore inscription
(1) संवत् 1320 वर्षे माघ सु( 2 ) दि 1 सोमे श्रीनारणकीयग(3) ञ्छप्रतिबद्ध जिनालये महा
( 4 ) राजश्रीचन्दनविहारे श्री (5) क्षीबरायेश्वर स्थाना ( न ) प - ( 6 ) तिना भट्टारकरा [व] लल(7) क्ष्मीधरेण देवश्रीम [हा] -
( 8 ) वीरस्य प्रासौजमासे ||
( 9 ) अष्टाह्निकापदे द्रमाणां
( 10 ) 100 शतमेकं प्रदत्तं । तद् व्या
For Private & Personal Use Only
59
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350