Book Title: Jain Inscriptions of Rajasthan
Author(s): Ramvallabh Somani
Publisher: Rajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
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(7) गाडा पोठ्यारू रांणि श्रीकुम्भकणि महं डूगर भा (भो)जा जो(8) ग्यं मया उधारी जिको ज्यात्रि प्रावि ताहिरु सर्व म(9) कावु जात्रा-संमंधि आचन्द्रार्क लगि पायक इको (10) मांगवा न लहि राणि श्रीकुम्भणि मं० डूगर भो(11) जा ऊपरि मया उधारि यात्रा मगती कीधी - (12) घाट थापू सूरिही रोपावी जि को प्रा विधि लो(13) पसी तिइंहि सुरिहि भांगीरु पाप लागसिं (14) अनि सह जिको जात्रि प्राविसई स फयु एक देव (15) श्री अचलेश्वरि अन दुगानी 4 च्यार देवि श्री वशि(16) ष्टि भंडारि मुकस्यइ । अचलगढ ऊपरि देवी। (17) श्री सरस्वती सन्निधानी बइठां लिषितं । दुए (18) श्री स्वयं । श्री रामप्रसादातु । शुभं भवतु । (19) दोसी स (र) मणं नित्यं प्रणमति
No. 19 The Inscriptions of Pittalabar temple, Abu
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संवत् 1525 वर्षे फा०सु०7शनि रोहिण्यां अबुंदगिरौ देवडा श्रीरायधर सायर देवडा श्रीडूंगरसिंहराज्ये गुर्जर साह भीमप्रासादे गुर्जरज्ञातीशृङ्गार मं० मण्डन भार्या लोलीपुत्र राजाधिराज-रामदास समान्य मं० सुद्र सुत मन्त्रीश्वर गदा भार्यया सा० हीरा भार्या मदी पुत्र्या श्राविका प्रासू नाम्न्या पुत्र श्रीरंग-बाधादिपरिवारपरिवृतया पित्तलमय 41 अंगुलप्रमाण-प्रथमतीर्थङ्कर-मूलनायकपरिकरे श्रीवासु
पूज्यबिम्ब कारितं प्रतिष्ठितं तपागच्छनायक(5) श्रीसोमसुन्दरसूरिपट्टे श्रीमुनिसुन्दरसूरि-श्रीजयचन्द्रसूरि तत्पट्टे
श्रीरत्नशेखरसूरि-पट्टप्रभाकर-गच्छाधिराज-श्री श्री (6) श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः श्रीसुधानन्दनसूरि श्रीसोमजयसूरि महो
पाध्याय श्रीजिनसोमगणि प्रमुख [परिवार]परिवृतैः (7) महिसाणा वास्तव्य सूत्रधार देवा घटितम्
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