Book Title: Jain Inscriptions of Rajasthan
Author(s): Ramvallabh Somani
Publisher: Rajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
________________
( 17 ) जरण उ० पासवीर तथा ज्ञा० ० वोहडि उ० पूना तथा ज्ञा० श्रे० ० जसडुय उ० जेगरण तथा ज्ञातीय श्रे० साजरण उ० भोला तथा ज्ञा० पासिल उ० पूनुय तथा ज्ञा० श्रे० राज्य उ० सावदेव तथा ज्ञा० दूगसररण उ० साहरणीय प्रोइसवाल
(18) ज्ञा० श्रे० सलखण उ० महं० जोगा तथा ज्ञा० ० देवकु यार उ० प्रासदेवप्रभृति गोष्टि (ष्ठि) का: । श्रमीभिस्तथा 6 पष्ठीदिने श्रीनेमिनाथदेवस्य चतुर्थाष्टाह्निकामहोत्सवः कार्यः । तथा मुण्डस्थलमहातीर्थवास्तव्य प्राग्वाटज्ञातीय
(19) श्रे० संधीरण उ० गुणचन्द्र पाल्हा तथा श्रे० सोहिय उ० प्राश्वेसर तथा श्र े० जेजा उ० खांखरण तथा फीलिरणीग्रामवास्तव्य श्रीमालज्ञा० वापल - गाजरणप्रमुख गोष्टि (ष्ठि ) का: । अमीभिस्तथा 7 सप्तमीदिने श्रीनेमिनाथदेवस्य पञ्चमाष्टाह्निकाम( 20 ) होत्सवः कार्यः ॥ तथा हंडाउदाग्राम - डवाणीग्रामवास्तव्य श्रीमालज्ञातीय श्र े० ग्राम्बुय उ० जसरा तथा ज्ञा० श्र े० लषमरण उ० श्रासू तथा ज्ञा० श्र े० प्रासल उ० जगदेव तथा ज्ञा० श्र० सूमिग उ० धरणदेव तथा ज्ञा० श्र० जिरणदेव उ० जाला ( 21 ) प्राग्वाट ज्ञा० ० प्रासल उ० सादा श्रीमालज्ञा० ० देदा उ० वीसल तथा ज्ञा० श्रे० प्रासधर उ० आसल तथा ज्ञा० श्र े० थिरदेव उ० वीरुय तथा ज्ञा० श्र े० गुणचंद्र उ० देवधर तथा ज्ञा० ० हरिया उ० हेमा प्राग्वाटज्ञा० श्रे० लषमरण ।
( 22 ) उ० कडयाप्रभृतिगोष्टि (ष्ठि ) का: । अमीभिस्तथा 8 अष्टमी श्रीनेमिनाथदेवस्य षष्टा (ष्ठा) कि महोत्सवः
दिने
कार्यः
: । तथा मडाहडवास्तव्य प्राग्वाटज्ञातीय श्रे ० देसल उ० ब्रह्म सररणु तथा ज्ञा० जसकर उ० श्रे० धरिणया तथा ज्ञा० श्रे०
उ०
( 23 ) देल्हरण उ० प्रल्हा तथा ज्ञा० श्र० वाला उ० पद्मसीह तथा ज्ञा० • प्रांबु उ० बोहडि तथा ज्ञा० ० बोसरि उ० पूनदेव तथा ज्ञा० श्र० बीरुय उ० साजरण तथा ज्ञा० ० पाहुय देवप्रभृति गोष्टि (ष्ठि) काः । प्रमीभिस्तथा 9 नवमीदिने ( 24 ) श्री नेमिनाथ देवस्य सप्तमाष्टाह्निकामहोत्सवः कार्यः । तथा साहिलवाडावास्तव्य प्रोइसवालज्ञातीय श्र० देल्हा उ० आल्हण श्र े० नागदेव उ० आम्बदेव श्र े० काल्हण उ० ग्रासल श्र० बोहिथ उ० लाषरण श्र े ० जसदेव उ० बाहड ०
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
25 www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350