Book Title: Jain Dharm Ki Kahaniya Part 08
Author(s): Haribhai Songadh, Vasantrav Savarkar Rameshchandra Jain
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Yuva Federation

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Page 42
________________ जैन धर्म की कहानियाँ भाग-८/४० ऐसा कह कर वे तुरन्त ही जंगल में आचार्य भगवन्त के पास गये और उन्होंने दीक्षा ले ली......और वे आत्मा को साधने लगे। राज्य के मन्त्री का पुत्र जिसका नाम पुष्पडाल था, बालपने से ही वारिषेण का मित्र था । उसकी शादी अभी-अभी हुई थी । एक बार वारिषेण मुनि विहार करते-करते पुष्पडाल के गाँव पहुँचे । पुष्पडाल ने उन्हें विधि पूर्वक आहारदान दिया । इस समय अपने पूर्व के मित्र को धर्म-बोध देने की भावना उन मुनिराज को उत्पन्न हुई। . आहार के पश्चात् मुनिराज वन की ओर जाने लगे । विनय से पुष्पडाल भी उनके पीछे-पीछे चलने लगा । कुछ समय चलने पर

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