Book Title: Jain Dharm Ki Kahaniya Part 08
Author(s): Haribhai Songadh, Vasantrav Savarkar Rameshchandra Jain
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Yuva Federation
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___ जैन धर्म की कहानियाँ भाग-८/९० ... शीलवती नारी पर कलंक कुदरत कैसे देख सकती थी ? उसके
शील के प्रभाव से उस नगर के रक्षक देवता वहाँ आये और उन्होंने नीली से कहा - "हे महासती ! तू प्राण त्याग न कर, तेरा कलंक सुबह
ही दूर होगा.... इसलिए तू चिन्ता न कर ।' . . उन देवताओं ने राजा को भी स्वप्न में एक बात कही । बस,
रात्रि हुई....नगर का दरवाजा बन्द हो गया। सुबह हुई...... लेकिन नगर का दरवाजा ऐसा जबरदस्त लग गया कि किसी प्रकार से भी नहीं खुला।
' नगर रक्षक सिपाही घबड़ाते हुए राजा के पास पहुँचे और यह । बात राजा को बताई तथा खोलने का उपाय पूँछा ।
राजा को रात में स्वप्न आया ही था कि नगर का दरवाजा बन्द हो जायेगा और शीलवती नीली का पैर लगने पर ही वह खुलेगा।
अनेक प्रयत्न करने पर भी दरवाजा नहीं खुला । आखिर में राजा . की आज्ञा से मन्दिर से नीली को बुलवाया गया । णमोकार मन्त्र जपती हई नीली वहाँ आई और उसके पैर का स्पर्श होते ही दरवाजा खुल गया...।
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