Book Title: Jain Dharm Ki Kahaniya Part 08
Author(s): Haribhai Songadh, Vasantrav Savarkar Rameshchandra Jain
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Yuva Federation

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Page 81
________________ - ८/७९ जैन धर्म की कहानियाँ भाग-८/ सत्य की रक्षा कर सकता था, लेकिन उसे गुरु-पत्नि के द्वारा माँगे हुए वर ने सत्य मार्ग से ढकेल कर हठाग्रही और पक्षपाती बना दिया । अतः निर्णय देते हुए उसने कहा- "जो पर्वत कहता है, वही सत्य है । " . प्रकृति को उसका यह असत्य वचन सहन नहीं हुआ । उसका परिणाम यह हुआ कि राजा वसु जिस स्फटिक के सिंहासन पर बैठ

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