Book Title: Jain Darshan me Tattva Mimansa
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 7
________________ छह T بس 09 الله الله १ ४६ इन्द्रिय-ज्ञान और पांच जातियां मानस-ज्ञान और संज्ञी-असंज्ञी इन्द्रिय और मन जातिस्मृति अतीन्द्रियज्ञान---योगीज्ञान ३. आत्मवाद दो प्रवाह : आत्मवाद और अनात्मवाद आत्मा क्यों ? भारतीय दर्शन में आत्मा के साधक तर्क जैन दृष्टि से आत्मा का स्वरूप भारतीय दर्शन में आत्मा का स्वरूप औपनिषदिक आत्मा के विविध रूप और जैन दृष्टि से तुलना सजीव और निर्जीव पदार्थ का पृथक्करण जीव के व्यावहारिक लक्षण जीव के नैश्चयिक लक्षण मध्यम और विराट् परिमाण बद्ध और मुक्त जीव-परिमाण शरीर और आत्मा मानसिक क्रिया का शरीर पर प्रभाव दो विसदृश पदार्थों का संबंध विज्ञान आत्मा आत्मा पर विज्ञान के प्रयोग चेतना का पूर्व रूप क्या है ? इन्द्रिय और मस्तिष्क आत्मा नहीं प्रदेश और जीवकोष अस्तित्व सिद्धि के दो प्रकार स्वतंत्र सत्ता का हेतु पुनर्जन्म अंतरकाल स्व-नियमन ४. कर्मवाद xxx xx2 r.xx9 Mmmm ६६-६६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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