Book Title: Jain Darshan me Tattva Mimansa
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 6
________________ १. विश्व : विकास और हास अनादि अनन्त विश्व- स्थिति के मूल सूत्र विकास और हास विकास और ह्रास का कारण प्राणि - विभाग उत्पत्ति स्थान स्थावर जगत् संघीय जीवन साधारण - वनस्पति जीवों का परिमाण प्रत्येक वनस्पति प्रत्येक वनस्पति जीवों का परिमाण क्रम - विकासवाद के मूल सूत्र शारीरिक परिवर्तन का ह्रास या उलटा क्रम प्रभाव के निमित्त २. जीवन-निर्माण संसार का हेतु सूक्ष्म शरीर गर्भ विषयानुक्रम गर्भाधान की कृत्रिम पद्धति गर्भ की स्थिति गर्भ - संख्या गर्भ प्रवेश की स्थिति बाहरी स्थिति का प्रभाव जन्म के प्रारंभ में जन्म प्राण और पर्याप्ति प्राण-शक्ति जीवों के चौदह भेद और उनका आधार Jain Education International For Private & Personal Use Only १ – २० १ २ ४ ५ 67 ११ १२ १२ १२ १२ १७ १७ २१-३२ २१ २१ २२ २३ २३ २३ २४ २४ २४ २५ २६ २६ २७ www.jainelibrary.org

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