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सम्पादकीय
युवाचार्य महाप्रज्ञ की बहुचर्चित पुस्तक 'जैन दर्शन : मनन और मीमांसा' के पांच खण्ड हैं । उसका दूसरा खण्ड है - 'दर्शन' । उस खण्ड के आधार पर कुछेक विषयों के विस्तार और टिप्पणों को छोड़ कर प्रस्तुत पुस्तक 'जैनदर्शन में तत्त्व - मीमांसा' तैयार की गई है । यह विद्यार्थियों के ज्ञानवर्धन में सहायक होगी, इसी आशा के साथ |
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-सम्पादक
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