Book Title: Jain Darshan Atma dravya vivechanam
Author(s): M P Patairiya
Publisher: Prachya Vidya Shodh Academy Delhi

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Page 23
________________ परिहारविशुद्धिः २३१, सूक्ष्मसम्परायम् २३२. यमाख्यातम् २३२, गुप्तयः २३२, समितय: २३३, ईर्यासमितिः २३३, भाषासमितिः २३४, एषणासमितिः २३४, आदाननिक्षेपणसमिति: २३४, उत्सर्गसमितिः २३४, चारित्र मोहाभावः २३४ | neeredari मोक्ष: २३६, कर्मक्षयस्यावश्यकत्वम् २३६, सम्यक्चारित्रस्य मोक्षहेतुत्वम् २३७, पुण्यकर्मणामपि हेयत्वम् २३७, कर्मणामसंश्लेष एव क्षय: २३८ कर्मक्षयक्रमः २३८, कैवल्यम् २३६, मोक्ष: २४० | मुक्तात्मनां स्वरूपम् २४०, आत्मगुण साक्षात्कार: २४०, मोक्षस्य पञ्चमगतित्वम् २४१, आत्मनो भेदा: २४१, आत्मकर्मणोः स्वभाव: २४१, परमात्मन: स्वभाव: २४२, आत्मैव परमात्मा २४२ चित्तस्य नैर्मल्यम् २४२, शान्तः शिवश्च २४२, निरञ्जनस्वभावः २४३, वेद: शास्त्रश्चागम्यत्वम् २४३ आत्मनो देहस्थितावपि परमात्मत्वम् २४३, मुक्तात्मनां स्वरूपम् २४४, साधुस्वरूपम् २४४, उपाध्यायाः २४५, आचार्या. २४५, दर्शनाचार: २४५, ज्ञानाचार २४५, चारित्राचारः २४५, तपश्चरणाचार २४६, वीर्याचारः २४६, सिद्धा २४६, अर्हन्तः २४७ | सन्दर्भोल्लेखाः २४७-२४६ । समोक्षणमुपसंहारश्च २४६-२७८ जैनेत रदर्शन दृष्ट्याऽऽत्मद्रव्यस्य समालोचनात्मकं विवेचन २५, चार्वाकदर्शनाऽपेक्षयात्मविवेचनम् २५१, भूतचं नन्यवाद. २५२, देहात्मवाद २५२, आत्ममनोवाद : २५२, इन्द्रियात्मवाद २५३, प्राणात्मवाद २५३, पुत्र एवात्मा २५३, अर्थ एवात्मा २५३, बौद्धदर्शनीयात्मविचारा २५४, वेदेष्वात्मा २५५, ब्राह्मणारण्यकेष्वात्मा २५५, उपनिषत्वात्मा ५६, जीवात्मनः स्वरूपम् २८७, जन्मान्तरव्यवस्था २५७. परमपदप्राप्ति २५७, न्यायदर्शनापेक्षयात्मविवेचनम् २५८, आत्मनो गुणा, २५८, मोक्ष २५९, मोक्षावाप्तिप्रक्रिया २५६, मीमासादर्शनापेक्षयात्मविवेचनम् २५६, मुक्ते स्वरूपम् २६०, मुक्तिप्रक्रिया - ६०, मुक्तजीवस्वरूपम् २६१, साख्यदर्शनापेक्षयात्मविवेचनम् २६२, बद्धपुरुषस्यानेकत्वम् २६२, शस्य बहुत्वे विप्रतिपत्तयः २६३, ज्ञस्य विषयम् २६३, पुरुषस्य बन्ध. २६४, पुरुषम्य बन्धविच्छेद २६४, अद्वैतदर्शनापेक्षयात्मविचार: २६५, चैतन्यस्य स्वरूाद्वैविध्यम् २६५, जीवस्वरूपम् २६५ । आत्मसिद्धान्तानां समालोचनम् २६६, चार्वाकात्मसिद्धान्तसमीक्षा २६६, बौद्धात्मसिद्धान्तसमीक्षा २६७, वैदिकात्मसिद्धान्तविमर्श: २६८, औपनिषत्कात्म सिद्धान्तविमर्शः २६८, नैयायिकात्मसिद्धान्तविमर्श: २६६, मीमासकात्म सिद्धान्तविमर्श २७०, सांख्यपुरुषसिद्धान्तविमर्शः २७१, अद्वैतवेदान्तीयात्मसिद्धान्तविमर्शः २७२, निष्कर्षः २७२ । उपसंहार २७५ | सन्दर्भेल्लेखा. २७७ । सन्दर्भ ग्रन्थसङ्केतानुक्रमणिका ५ २७६-२८४

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