Book Title: Jain Bhajan Muktavali Author(s): Nyamatsinh Jaini Publisher: Nyamatsinh Jaini View full book textPage 7
________________ dama - - न्यामन विलाम यह न्यामत आधीन, जिन चाना में लीन, __ हमें मना यकीन, कभी होगी नाना ॥ an-MAntarnatamnna चान-मस्नान Are Aaunt - adriNuwwwwewere-~ मोक्ष मारग में प्रभु तुमने लगाया हमको । तत्व के अर्थ का शनि कराया हमको ।। : ।। वीतराग और हितोपदेशी जगन के नाना । यह विगंशन है तेरे साफ जिनाया हमको ॥२॥ ठीक चारित्र दरश ज्ञानका समुदाय महा। मोक्ष जाने का है रस्ता मो दिखाया हमको ॥ ३ ॥ मोह मिथ्यात की निना में पड़े माने थे । आपने दिव्य धनी से है जगाया हमको ।। ।। जीव फल आपसे भाग है करमका अपन । फलका दाता न कोई और बताया हमको ॥ ५॥ भूले फिरते थे विषय भोग में न्यामन हमनी । धन्य है आपको जो याद दिलाया हमको ।। ६ । गान- TRAwar अधार मोरे स्वामी भवदधिस का मुझको पार ॥॥ वहंगन में रहता फिग मोरे म्मामी दुवई गई है. अगर अवार० ॥१॥Page Navigation
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