Book Title: Jain Bhajan Muktavali
Author(s): Nyamatsinh Jaini
Publisher: Nyamatsinh Jaini

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Page 32
________________ न्यामत विलास चाल-अलीवख्श की मेरो प्यारारी जगैना जगा के हारी वादीला जगैना ॥ कोई प्यारो जी चलेना, कोई यारो जी चलेना। संगारे नारी बाँदी तो चलेना, कोई प्यारो जी चलेना ॥ टेका ऊँची अटरिया कोट-कुरिया जामें प्राण बना। चारों गती में तू फिर आया, कर्मों की जंजीर कटेना कोई०१॥ भाई भेनरया, मात पितरया, कोई बीच पड़ेना। न्यामत सब स्वास्थ के साथी, डावर सूकी कोई पैर धरेना ॥ कोई० ॥ २॥ - - - चाल--गज़ल होलो ॥ ज़माना तेरा मुन्तला हो रहा है । - - | तू क्या उम्र की शाखौ सो रहा है। खबर भी है तुझको कि क्या होरहा है । टेक॥ कतरते हैं चूहे इसे रात दिन दो। और इसपै तू यों बेखवर सो रहा है ।। तू०॥ १॥ है नीचे खड़ा मौत का मस्त हाथी । तेरे गिरने का मुंतज़िर हो रहा है ।। तू० ॥३॥ | अय न्यामत यह टहनी गिरी चाहती है। | विषय बूंद पै अपनी जांखो रहा है।॥३॥ - - -

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