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'न्यामत बिलास प्यारे चंचल, अरे छोड़ो छोड़ो छलबल । मची हे सारे हलचल, यहाँ होरही है चलचल, न कयाम का नाम लो । तूतो करता० ॥ १॥ सारे काम रहेंगे ना कोई नाम रहेंगे। चलता नाहिं किसी का, दल बल जोर किसी का ॥ कर न दलील कहीं तूं, न्यामत ढील नहीं तू । | हैदर घर सब पर, तज कर जन जर ।। समकर दम कर, करफर मतकर, काहे पे इतना मान, तूतो करता है ॥ २॥
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चाल--अफीम तेरे सट्टे ने पागल बना दिया.॥ (नई तरज) मदमोह की शराब ने आपा भुला दिया । आपा भुला दिया तुझे वेखुद बना दिया। टेक ॥ चेतन तेरा स्वरूप था जड़ सा बना दिया। जड़ कोंके फन्दे में है तुझको फँसा दिया॥१॥ . निश दिन कुमति को संगमें तेरे लगा दिया। दामन सुमता सी रानी का करसे छुड़ा दिया ॥२॥ उपयोग ज्ञान गुण तेरा ऐसे दबा दिया। आ. न्यामत जैसे बादल ने सूरज छिपा दिया ॥३॥
- (चाल-विन्दो लेदे लेदे लेदे मेरे माथे का सिंगार) मततारे तारे तारे मेरे शील का सिंगार।
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