Book Title: Jain Bhajan Muktavali
Author(s): Nyamatsinh Jaini
Publisher: Nyamatsinh Jaini

View full book text
Previous | Next

Page 22
________________ न्यामत विलास २८ चाल --- रिवाड़ी वाले अतीव शकी || कहाँ गया मिजाजन घरवाला || १८ मत कर चेतन छल की बतियाँ, छल की बतियाँ बल की बतियाँ ॥ टेक ॥ झूठ कपट जग में दुखदाई, जासे नर्क मिले गतियाँ ॥ १ ॥ मन में हो सोई बात उचारो कर जो कहे मुखसों बतियाँ ॥ ॥ २ ॥ न्यामत सरल स्वभाव बनावो, सुखमें बीतें दिन रतियाँ ॥ ३ ॥ २९ चाल - महबूब यार जानो | पंजाबी ॥ सुनसुन प्राणी जिन बाणी, भवभव सुखदानी जी । मुक्ती की यही निशानी, क्यों मन नहीं आनी ॥ टेक ॥ जग का अंधेर मिटावें, मन भरम हटावे जी । कम्मों का फन्द कटावे, शिवनार मिलावे ॥ १ ॥ यह स्यादवाद सत भंगी, अनुयोग वारा अंगी । शिव मग दरसावन संगी, षट मत में चंगी ॥ २॥ सुज्ञान दीपमाला, कुज्ञान दैत काला । असि आऊसा मुखवाला, त्रिभुवन उजियाला ॥ ३ ॥ यह जग जननी जिनवाणी, परमारथ लाभ दानी | इम भाषी केवल ज्ञानी, न्यामत होना श्रद्धानी ॥ ४ ॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41